मीसा बंदी पेंशन को लेकर गर्माने लगी राजनीति

Politics started heating up regarding Misa captive pension
मीसा बंदी पेंशन को लेकर गर्माने लगी राजनीति
मीसा बंदी पेंशन को लेकर गर्माने लगी राजनीति

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मीसा बंदी पेंशन को लेकर राजनीति गर्माने के आसार हैं। 25 जून को आपातकाल की 46वीं बरसी पर शहर में आपातकाल विरोधियों ने काला दिन मनाया। इस दौरान मीसा बंदी पेंशन की मांग को लेकर सरकार पर दबाव बनाने का संकल्प लिया गया। भाजपा ने पहली बार मीसा बंदियों का सत्कार कर पेंशन मामले को भी हवा दी है, तो दूसरी तरफ राकांपा का कहना है कि महाविकास अघाड़ी सरकार  ने पेंशन बंद कर सही निर्णय लिया है। 

होती रही राजनीति
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में लंबे समय से मीसा बंदी पेंशन की मांग की जाती रही है। देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में भाजपा गठबंधन की सरकार ने जून 2018 में राज्य में मीसा बंदियों के लिए 10 हजार रुपए मासिक पेंशन लागू की थी। उसे महाविकास आघाड़ी सरकार ने रद्द कर दिया। जिन राज्यों में पेंशन लागू किए गए, उनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश व बिहार प्रमुखता से शामिल हैं। इन राज्यों में 20 हजार से 25 हजार रुपए तक पेंशन दी जा रही थी। कुल मिलाकर देखा जाए तो मीसा बंदी पेंशन को लेकर राजनीति होती रही है। 

आघाड़ी ने सही निर्णय लिया
लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रवींद्र कासखेडीकर कहते हैं कि मीसा बंदियों को सम्मान निधि देने में सरकारों का रूख कभी भी सकारात्मक नहीं रहा है। मीसा बंदियों काे आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा है। उनका परिवार ही नहीं, पीढ़ियां आपातकाल पीड़ित हैं। मीसा बंदी के सबसे अधिक सत्याग्रही महाराष्ट्र के हैं। राकांपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण कुंटे कहते हैं कि मीसा बंदी पेंशन का कोई औचित्य ही नहीं रह गया है। संघ के लोगों को खुश करने के लिए भाजपा ने यह योजना लागू की थी। 
महाविकास आघाड़ी ने योजना बंद करने का सही निर्णय लिया है। 

Created On :   29 Jun 2021 4:14 PM IST

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