जस्टिस लोया केस की स्वतंत्र एजेंसी से करवाएं जांच : प्रशांत भूषण

Prashant Bhushan on Justice Loya case from independent agency probe
जस्टिस लोया केस की स्वतंत्र एजेंसी से करवाएं जांच : प्रशांत भूषण
जस्टिस लोया केस की स्वतंत्र एजेंसी से करवाएं जांच : प्रशांत भूषण

डिजिटल डेस्क,,नागपुर। जानेमाने अधिवक्ता व स्वराज इंडिया के नेता प्रशांत भूषण ने जस्टिस बीएच लोया की मौत के मामले की जांच स्वतंत्र एजेंसी से  कराने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि लोया की मौत हार्टअटैक से होने के सबूत ही नहीं है। सिर पर चोट लगने या विषबाधा होने के संकेत अवश्य मिले है। इस मामले को लेकर वे उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करेंगे। शनिवार को  तिलक पत्रकार भवन में प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में प्रशांत भूषण ने राजनीतिक,आर्थिक व अन्य मामलों पर भी खुलकर बातचीत की। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश।

लोया मामले में सीबीआई से उम्मीद नहीं
जस्टिस लोया की मौत के मामले में सीबीआई से उम्मीद ही नहीं की जा सकती है कि वह सचाई सामने आने देगा। इस मामले में 1000 पेज की चार्जशिट सीबीआई ने तैयार की। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की डाक्टर से फोन पर 100 बार बातचीत के प्रमाण मिले है। लेकिन सीबीआई ने एक ही सुनवाई में शाह को जांच के दायरे से बाहर कर दिया। उच्चतम न्यायालय ने एक माह तक इस मामले में सुनवाई की है। महाराष्ट्र सरकार की ओर से न्यायालय में जो रिपोर्ट रखी गई है उसमें शपथपत्र ही नहीं है। शपथपत्र के बिना किसी प्रकरण की रिपोर्ट पर सुनवाई की अनुमति ही कैसे मिल गई,समझ नहीं आ रहा है। इस प्रकरण को लेकर एम्स के डाक्टरों से बात की है। एम्स के फोरेंसिक विभाग के प्रमुख रहे डाक्टर शर्मा ने जस्टिस लोया की हिस्ट्रोपैथोलाजी व इसीजी रिपोर्ट देखी। इन रिपोर्ट के आधार पर डाक्टर ने कहा है कि लोया की मौत का कारण सिर पर चोट लगना या विषबाधा हो सकता है। हार्टअटैक नहीं। विसरा रिपोर्ट व पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर दंदे अस्पताल की भूमिका की भी जांच होना चाहिए। प्रकरण की न्यायिक जांच या एसआईटी से जांच  की मांग की है।

निजीकरण से दूर नहीं होगा बैंकों का भ्रष्टाचार
सार्वजनिक क्षेत्रों की बैंकों के कामकाम में पारदर्शिता लाने की आवश्यकता है। निगरानी की ठोस व्यवस्था हो। निजीकरण से बैंकों का भ्रष्टाचार दूर नहीं होगा। निजी बैंक तो पहले से ही भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। पीएनबी का मामला आश्चर्यजनक है। एक सामान्य अधिकारी बैंक के 11 हजार करोड से अधिक रुपये का घोटाला कर विदेश चला गया। यही नहीं विदेश में उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ फोटो भी खिंचवायी। एलआईसी में भी वित्तीय अनियमितता है। सारे मामलों पर पर्दा डालने का प्रयास किया जा रहा है। आरबीआई सूचनाओं को छिपाती है। उच्चतम न्यायालय के आदेश के 2 वर्ष बाद भी आरबीआई से आरटीआई के माध्यम से बैंकों के संबंध में जानकारी नहीं मिल पाती है। संसद में भी जानकारी नहीं रखी जाती है। 

टेंडर के बिना हुई रफेल डील
रफेल विमान सौदा के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता है। इतना बड़ा घोटाला जिंदगी में नहीं देखा। अनिल अंबानी को लेकर प्रधानमंत्री विदेश गए। वहां 126 के बजाय 136 रफेल का सौदा किया गया। इस सौदे के लिए कोई टेंडर ही नहीं निकाला गया। अंबानी को सीधे तौर पर 22 हजार करोड रुपये का लाभ दिलाया गया। 

चौकीदारों काे उद्धवस्त कर रहे चौकीदार
प्रधानमंत्री स्वयं को देश का चौकीदार बताते हैं। लेकिन एक एक करके चौकीदारों व निर्णायक संस्थाओं का ध्वस्त किया जा रहा है। आरबीआई से रघुरामन राजन बाहर हुए उनके स्थान पर रिलायंस के उर्जित पटेल को लाया गया। केंद्रीय सतर्कता आयोग में ऐसे लोगों को लाया गया जिनपर आयोग ने ही पहले सवाल उठाये थे। जतीन मेहता, नीरव मोदी व अदानी जैसे उद्यमी प्रधानमंत्री के साथ रहते हैं। 

लोकपाल आंदोलन का लाभ भाजपा ने उठाया
लोकपाल आंदोलन का लाभ भाजपा ने उठाया। कांग्रेस का समाप्त करने के लिए भाजपा को लोकपाल आंदोलन से सहायता मिली। अब भ्रष्टाचार रोकने के बजाय भ्रष्ट्राचार रोकने वाली संस्थाओं को समाप्त किया गया रहा है। प्रिवेंशन करप्शन एक्ट को समाप्त करने का प्रयास चल रहा है। राजनीतिक दलों को आर्थिक सहयोग के लिए रास्ते खोले जा रहे है। 
 

Created On :   24 Feb 2018 11:34 AM GMT

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