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महावितरण को खंड-खंड करने की तैयारी, 5 कंपनियां बनाने की योजना

डिजिटल डेस्क, नागपुर । महाराष्ट्र राज्य विद्युत मंडल (एमएसईबी) को तोड़कर 6 जून 2005 को तीन कंपनियां बनाई गईं। महावितरण, महापारेषण व महानिर्मिति नाम दिया गया। अब पुन: महावितरण को तोड़कर 5 कंपनियां बनाने की योजना पर काम हो रहा है। इसके लिए अध्ययन का काम निजी एजेंसी को दिया गया है। बिजली कर्मचारियांे के सबसे बड़े संगठन एमएसई वर्कर्स फेडरेशन ने इसका कड़ा विरोध किया है।
संसद में विधेयक लाने की तैयारी
एमएसईबी को तोड़कर 3 कंपनियां बनाने से खर्च में वृद्धि हुई है। वरिष्ठ स्तर पर पदों में इजाफा हुआ है। खर्च बढ़ने का सीधा असर कंपनी की आय पर होता है। घाटा बढ़ने से आय प्रभावित होती है। फिर बिजली के दाम बढ़ाने की तैयारी शुरू हो जाती है। बिजली कंपनियों को निजी हाथों में देने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। बिजली सुधार विधेयक 2020 में संसद में लाया गया था, लेकिन देश भर में हुए िवरोध के कारण यह विधेयक पास नहीं हो सका था। अब फिर से बिजली सुधार विधेयक संसद में लाने की तैयारी हो रही है। बिजली विभाग को निजी कंपनियां अपने हाथ में लेने को आतुर हैं। केंद्र सरकार ने इसके लिए अनुकूल माहौल तैयार करने का आरोप बिजली कर्मचारियों के संगठन लगा रहे हैं। अब महावितरण की 5 कंपनियां बनाने की योजना है। कमेटी इसका अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट महावितरण प्रबंधन को सौंपेगी।
निजीकरण की आेर बढ़ रहे कदम
पहले बिजली मंडल ही सारा काम देखता था। तीन कंपनियां बनीं, तो खर्चे भी बढ़ गए। घाटा लगातार बढ़ रहा है। कंपनी को निजी हाथों में देने की कोशिश हो रही है। 5 कंपनियां बनेंगी, तो खर्चे भी बढ़ जाएंगे। फिर बिजली के रेट भी बढ़ेंगे। महावितरण में जो 25 हजार पद खाली हैं, उन पर किसी का ध्यान नहीं है। ये निजीकरण की आेर बढ़ने का कदम है। हम इसका पुरजोर िवरोध करते हैं।
-चंद्रशेखर मौर्य, उपाध्यक्ष एमएसई वर्कर्स फेडरेशन
Created On :   3 July 2021 3:32 PM IST