‘दबाव डालकर ली गई सहमति स्वतंत्र सहमति नहीं’

Presented consent is not free consent
‘दबाव डालकर ली गई सहमति स्वतंत्र सहमति नहीं’
साली से दुषकर्म करने वाले को नहीं मिली जमानत   ‘दबाव डालकर ली गई सहमति स्वतंत्र सहमति नहीं’

डिजिटल डेस्क, मुंबई।  दबाव बनाकर ली गई सहमति को स्वतंत्र सहमति नहीं माना जा सकता है। भले पीड़िता वयस्क ही क्यों न हो। यह बात कहते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने साली के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। पीड़िता ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने पहले उसे शीतल पेय में नशीली चीज देकर उसके साथ संबंध बनाया और इस दौरान आरोपी ने उसकी अश्लील तस्वीरे भी खीची ली। फिर उसे सार्वजनिक करने की धमकी देकर उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया। पुलिस ने महिला की शिकायत के आधार पर आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा  376(2),313, 328 व 508 के तहत मामला दर्ज किया था। मामले में गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए आरोपी ने कोर्ट में अग्रिम जमानत आवेदन दायर किया था।

न्यायमूर्ति सी वी भडंग के सामने आरोपी संदीप बुरती के जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई। आरोपी की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि मेरे मुवक्किल व शिकायतकर्ता के बीच प्रेम संबंध थे और शिकायतकर्ता वयस्क है। इसलिए इस मामले में दुष्कर्म का मामला नहीं बनता है। क्योंकि मेरे मुवक्किल ने शिकायतकर्ता की सहमति से संबंध बनाया है। वहीं सरकारी वकील ने कहा कि आरोपी ने पीड़िता की अश्लील तस्वीरों को सार्वजनिक करने की धमकी देकर उसे संबंध बनाने के लिए मजबूर किया था। इस लिहाज से देखा जाए तो पीड़िता भले वयस्क है लेकिन आरोपी ने पीड़िता पर दबाव बनाकर उसकी सहमति ली थी। इसलिए इसे स्वतंत्र सहमति नहीं माना जा सकता है। 

मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद आरोपी के वकील की ओर से दी गई दलीलो को न्यायमूर्ति ने अस्वीकार कर दिया। न्यायमूर्ति ने कहा कि दबाव बनाकर ली गई सहमति को स्वतंत्र सहमति नहीं माना जा सकता है। फिर चाहे पीड़िता वयस्क ही क्यों न हो। इस तरह न्यायमूर्ति ने आरोपी के जमानत आवेदन को खारिज कर दिया।  

Created On :   5 Feb 2022 6:54 PM IST

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