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भगवान ऋषभदेव के संदेश आज भी प्रासंगिक व अनुकरणीय - राष्ट्रपति कोविंद
डिजिटल डेस्क, मांगीतुंगी (नाशिक) । राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि भगवान ऋषभदेव ने अहिंसा के माध्यम से शांति स्थापना का संदेश दिया है। विश्व की स्थिति को देखकर उनका यह संदेश आज भी प्रासंगिक और अनुकरणीय है। वे सटाणा तहसील के भीलवाड (मांगीतुंगी) में आयोजित विश्वशांति अहिंसा सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। राष्ट्रपति ने कहा कि मानव कल्याण के लिए कार्य करने वाले जैन धर्म का संदेश ‘अहिंसा परमो धर्म’ है। तीर्थंकरों ने सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन और सम्यक आचरण का संदेश दिया है।
मन,वचन और आचरण से पालन करना जरूरी
उन्होंने इस अवसर पर कहा कि अहिंसा तत्व का मन, वचन और आचरण से पालन करना जरूरी है। भगवान ऋषभदेव का यह मंत्र कि केवल मानव जाति के लिए ही नहीं बल्कि प्रकृति व पशु-पक्षियों के लिए भी संवेदनशीलता व सहिष्णुता जरूरी है, वर्तमान समय में अत्यंत प्रासंगिक है। उन्होंने सभी से भगवान ऋषभदेव के बताए मार्ग पर चलते हुए उनके विचार आत्मसात करने का आह्वान भी किया। मंच पर राष्ट्रपति की धर्म पत्नी सविता कोविंद, राज्यपाल सी. विद्यासागर राव, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष भामरे, पालकमंत्री गिरीश महाजन, विधायक राजेंद्र पाटणी, गणिनी प्रमुख आर्यिकाज्ञानमती माताजी, आर्यिकारत्न चंदनामती माताजी, मूर्ति निर्माण समिति के अध्यक्ष रवींद्रकीर्ति स्वामी आदि उपस्थित थे।
आदर्श शासक थे भगवान ऋषभदेव : फडणवीस
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि भगवान ऋषभदेव आदर्श शासक थे। उन्होंने करुणा और अहिंसा का मंत्र दिया। उन्होंने विश्व को कल्याणकारी मूल्य प्रदान करने का काम किया। उनकी 108 फीट की अतिभव्य प्रतिमा के दर्शन से मूल्यों की प्रेरणा मिलती है। तीर्थंकरों ने केवल मानव मात्र के प्रति ही अहिंसा का विचार सीमित नहीं रखा। इसमें प्रकृति को भी शामिल किया। इस दौरान मुख्यमंत्री फडणवीस के हाथों मुरादाबाद के तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय को भगवान ऋषभदेव अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया। कुलगुरु सुरेश जैन ने यह पुरस्कार स्वीकारा। राज्यपाल विद्यासागर राव के हाथों "सर्वोच्च दिगंबर जैन प्रतिमा’ ग्रंथ का विमोचन किया गया।
Created On :   23 Oct 2018 6:46 AM GMT