कोर्ट की अवमानना मामले में प्रधान सचिव तलब, यह है पूरा मामला

Principal Secretary summoned in case of contempt of court
कोर्ट की अवमानना मामले में प्रधान सचिव तलब, यह है पूरा मामला
कोर्ट की अवमानना मामले में प्रधान सचिव तलब, यह है पूरा मामला

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कोर्ट के आदेश का पालन न करने के मामले में राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को तलब किया है। इसके साथ ही अदालत ने प्रधान सचिव से कोर्ट के आदेश का पालन न करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के नाम भी मांगे हैं। जिससे उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना कानून के तहत कार्रवाई की जा सके। मामला सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी एसएन राजपूत के सेवानिवृत्ती के लाभ से जुड़ा है। 

महाराष्ट्र प्रशासकीय न्यायाधिकरण (मैट) ने राजपूत को इस मामले में राहत देने से मना कर दिया था। लिहाजा उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने साल 2017 में राज्य सरकार के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग को राजपूत को उनके सेवानिवृत्ति से जुड़े लाभ देने का निर्देश दिया था। करीब एक साल बीत जाने के बाद भी अधिकारियों ने राजपूत को उनकी सेवानिवृत्ति से जुड़ा लाभ नहीं प्रदान किया तो उन्होंने हाईकोर्ट में फिर से कोर्ट की अवमानना याचिका दायर की थी। 

शुक्रवार को जस्टिस अभय ओक व जस्टिस एमएस सोनक की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि यह जानबूझकर अदालत के आदेश की अवहेलना का मामला प्रतीत हो रहा है। याचिकाकर्ता को सेवानिवृत्त से जुड़े लाभ न प्रदान करने के लिए कौन से अधिकारी जिम्मेदार हैं। इससे पहले खंडपीठ ने कहा कि यह एक सेवानिवृत्त कर्मचारी की ग्रेच्युटी,पेंशन व सेवानिवृत्ति से जुड़े लाभ का मामला है। इस प्रकरण में हम सरकार के प्रति कड़ा रुख अपनाएंगे।

इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने एनवी बांदविडेकर ने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जानबूझकर मेरे मुवक्किल को परेशान कर रहे हैं। वे साल 2001 में स्वास्थ्य विभाग से सेवानिवृत्त हुए थे लेकिन उन्हें अभी तक पूरी पेंशन नहीं दी जा रही है। उन्हें सेवानिवृत्ति के दूसरे लाभ से भी वंचित रखा गया है। जबकि कोर्ट ने अपने आदेश में मेरे मुवक्किल को सेवानिवृत्ति से जुड़े लाभ प्रदान करने का निर्देश दिया है। सिर्फ जाति प्रमाणपत्र को लेकर उन्हें इस लाभ से दूर रखा गया है। जबकि उनकी नियुक्ति समान्य श्रेणी में हुई थी।  इस बात को जानने के बाद खंडपीठ ने सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को 5 अक्टूबर को कोर्ट में हाजिर रहने का निर्देश दिया। 
 

Created On :   28 Sept 2018 9:08 PM IST

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