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जब जेल की रोटी लेकर सीधे कोर्ट पहुंचा कैदी, गुणवत्ता पर उठाए सवाल

डिजिटल डेस्क,मुंबई। जेलों में कैदियों को कितना खराब खाना मिलता है। यह बताने के लिए एक आरोपी अदालत में जेल की रोटी लेकर पहुंच गया। मिर्गी व मानसिक बीमारी से ग्रसित आरोपी ने जस्टिस को रोटी दिखाते हुए कहा कि डॉक्टर ने उसे प्रोटीनयुक्त पोषक युक्त आहार खाने के लिए कहा है। लेकिन जेल की रोटी की गुणवत्ता कैसी है, आप खुद देख सकते हैं। जिससे सेहत पर विपरीत असर पड़ रहा है।
जस्टिस ने भी रोटी को देखने के बाद पाया कि बीमारी से ग्रसित व्यक्ति के लिए जेल की रोटी उपयुक्त नहीं है। रोटी की गुणवत्ता जिस तरह की होनी चाहिए वैसी नहीं है। खास तौर से ऐसे व्यक्ति के लिए जिसे डॉक्टर ने पौष्टिक आहार लेने को कहा हो। यह बात कहते हुए जस्टिस ने मादक पादर्थ रखने के मामले में आर्थर रोड जेल में बंद आरोपी साजिद इलेक्ट्रिकवाला को 6 महीने तक के लिए घर का भोजन दिए जाने की अनुमति प्रदान कर दी। जस्टिस ने कहा कि आरोपी को घर का भोजन लेने की रियायत कि 6 महीने बाद डॉक्टर की रिपोर्ट देखने के बाद समीक्षा की जाएगी। इसके बाद यह तय किया जाएगा की आरोपी को आगे भी घर का खाना दिया जाए अथवा नहीं।
सुनवाई के दौरान जेल प्रशासन की ओर से पैरवी कर रहे सरकारी वकील ने दावा किया कि जेल में दिया जानेवाला भोजन आरोपी के लिए संतुलित व पर्याप्त है। इसलिए उसे घर से खाना मंगाने की इजाजत न दी जाए। सुरक्षा के लिहाज से भी यह उचित नहीं है। यदि आरोपी के घर से खाना मंगाने के आवेदन को स्वीकार किया जाता है तो इससे कैदियों के बीच में गलत संदेश जाएगा और वे भी घर से खाना मंगाने की सहुलियत कि मांग करेंगे।
जस्टिस ने जेल प्रशासन की इस बात को अस्वीकार कर दिया और कहा कि जेल अधिकारी निरीक्षण के बाद इलेक्टिकवाला को घर का खाना खाने की अनुमति दे। गौरतलब है कि इलेक्टिकवाला को आतंकवाद निरोधक दस्ते ने साल 2015 में 151 किलो मेफोड्रान के साथ गिरफ्तार किया था।
Created On :   8 Sept 2018 7:12 PM IST