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कोरोनाकाल में नागपुर एयरपोर्ट से निजी एयरक्राफ्ट व हेलिकाप्टरों ने खूब भरी उड़ान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोनाकाल में भले ही अंतरराष्ट्रीय व घरेलू विमान सेवा बंद रही, लेकिन नागपुर एयरपोर्ट से काफी निजी एयरक्राफ्ट व हेलिकाप्टरों ने उड़ान भरी। इसका खुलासा सूचना अधिकार कानून (आरटीआई) से हुआ है। 1 अप्रैल 2020 से 31 मई 2021 (14 महीने) तक नागपुर एयरपोर्ट से 780 निजी एयरक्राफ्ट व हेलिकाप्टरों ने उड़ान भरी है। इस दौरान 37 हजार 66 यात्री नागपुर आए आैर यहां से 37 हजार 477 यात्री अन्य शहरों में गए हैं।
13 महीने में 45.74 करोड़ का राजस्व मिला
अभय कोलारकर को आरटीआई में मिली जानकारी के अनुसार मिहान इंडिया लिमिटेड (एमआईएल) को 13 महीने में 45.74 करोड़ का राजस्व मिला, जबकि खर्चा इससे ज्यादा हुआ। इस दौरान 46.92 करोड़ रुपए खर्च हुए। एमआईएल ने एरोनॉटीकल शुल्क के रूप में 32.74 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त किया। इसमें लैडिंग शुल्क, पार्किंग शुल्क, यूजर डेवलपमेंट शुल्क शामिल हैं। एमआईएल को निजी एयरक्राफ्ट व हेलिकॉप्टर से 51.99 लाख रुपए की आमदनी हुई। नागपुर एयरपोर्ट पर एयरक्राफ्ट की लैंडिंग से 1338.70 लाख का राजस्व मिला। एमआईएल ने 14 महीने में सुरक्षा पर 2.81 करोड़ की राशि खर्च की।
एमआईएससी के मरीज हुए कम
भास्कर संवाददाता नागपुर. दूसरी लहर के दौरान जिले में बड़ी संख्या में बच्चे भी संक्रमित हुए थे। हालांकि आंकड़ों के अनुसार संक्रमित होने वाले अन्य समूहों में बच्चों की संख्या कम रही थी। इसके बाद बच्चों में कई तरह की परेशानियां भी देखने को मिली थीं। बच्चे मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआईएससी) बीमारी की चपेट मंे आए थे, लेकिन अब मरीज कम हो गए हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने के कारण समस्या
दूसरी लहर में बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हुए। पूरा परिवार संक्रमित होने पर इसका असर बच्चों पर भी हुआ। हालांकि बच्चों में या तो कम लक्षण थे या बिलकुल नहीं। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण काेविड से नुकसान नहीं हुआ, लेकिन इम्यूनिटी अधिक होने के कारण बच्चों के शरीर में अलग समस्याएं सामने आने लगीं। इम्यूनिटी अधिक होने के कारण वायरस से लड़ते समय कई तरह के रसायन बनते हैं, जो बच्चों के शरीर के कई अंगों पर असर डालते हैं। इसमें हृदय, लिवर, किडनी सहित अन्य अंग भी प्रभावित होते हैं। इसे मल्टी इंफ्रामेंट्री सिंड्रोम इन चिल्ड्रन (एमआईएससी) कहा जाता है। दूसरी लहर खत्म होने के बाद इस बीमारी से पीड़ित कई बच्चे सामने आए। सभी के परिवार और आसपास के लोगों के संक्रमित थे, जिससे उन पर असर हुआ। इस बीमारी से पीड़ित कई बच्चों को अस्पताल के आईसीयू में भी रखना पड़ा, लेकिन अब यह कम हो गया है। एमआईएसी के मरीज अब बहुत कम हो गए हैं। तीन-चार माह पहले मेडिकल में एमआईएससी के करीब 15 मरीज भर्ती थे, जबकि फिलहाल एक-दो मरीज ही हैं।
Created On :   23 Aug 2021 4:23 PM IST