- Home
- /
- टीबी का निजी अस्पतालों में भी होगा...
टीबी का निजी अस्पतालों में भी होगा फ्री इलाज
4_730X365.jpg)
डिजिटल डेस्क, नागपुर। टीबी का अब निजी अस्पतालों में भी फ्री में इलाज होगा। आंकड़े बताते हैं कि टीबी के पीड़ितों में 16 से 30 वर्ष आयुसीमा के युवाओं की संख्या सर्वाधिक हैं। बीमारी का प्रमाण बढ़ने से क्रयशक्ति पर प्रतिकूल परिणाम होकर देश को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ सकता है। इस खतरे को भांपकर टीबी के मरीजों के लिए सरकारी और निजी अस्पतालों में नि:शुल्क उपचार की सुविधा उपलब्ध है। रोग निदान के बाद सरकारी अस्पताल अथवा निजी औषधि दुकान से नि:शुल्क दवा देना अनिवार्य, "निश्चल" एप पर मरीज का रजिस्ट्रेशन बंधनकारक किया गया है। मरीज की जानकारी छिपाना अथवा उपचार का शुल्क वसूलना गुनाह होने की जानकारी राष्ट्रीय एंड टीबी अभियान के स्टेट को-ऑर्डिनेटर डॉ. मिलिंद नाईक ने आईएमए सभागृह में पत्रपरिषद में दी।
एक मरीज से 14 लोगों में बीमारी फैलने का खतरा
आगे श्री नाईक ने बताया कि, एक टीबी के मरीज से 14 लोगों में बीमारी फैलने का खतरा है। देश में प्रति डेढ़ मिनट में टीबी से एक मौत होती है। एक लाख लोगों में से 220 टीबी के मरीज हैं। नागपुर में एक लाख जनसंख्या में टीबी के मरीजों की संख्या 165 है। एचआईवी पीड़ित मरीजों में टीबी का खतरा सबसे अधिक है। 40 प्रतिशत एचआईवी पीड़ितों में क्षयरोग पाया जाता है। यह आंकड़ा सभी के लिए चिंता का विषय है। मनपा में टीबी रोग नियंत्रण अधिकारी डॉ. के. वी. तुमाने ने बताया कि टीबी को लेकर सरकार संवेदनशील है। एंड टीबी अभियान के माध्यम से विविध उपाय योजनाएं की जा रही हैं। बीमारी पर करोड़ों रुपए खर्च होकर भी नियंत्रण में नहीं आने पर उन्होंने चिंता व्यक्त की। इस समस्या से निपटना अकेले स्वास्थ्य विभाग या सरकार के बस में नहीं है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत का संकल्प लेकर एंटी टीबी अभियान शुरू किया है। इसमें देश के सभी नागरिकों से सहयोग का आह्वान भी उन्होंने किया।
पौष्टिक आहार के लिए प्रति माह 500 रुपए
टीबी के मरीज को अतिरिक्त पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है। इस जरूरत काे पूरा करने के िलए मरीज को प्रति माह 500 रुपए अनुदान दिया जाता है। "निश्चल" एप में रजिस्ट्रेशन होने के बाद जब तक उपचार शुरू रहता है, जब तक अनुदान की रकम सीधे मरीज के बैंक खाते में जमा की जाती है।
नागपुर में 9 हजार 853 मरीज
वर्ष 2018 में नागपुर शहर में 9 हजार 853 टीबी के मरीज मिले हैं। इसमें से 5 हजार 110 मरीजों का सरकारी स्वास्थ्य सेवा तथा 5 हजार 743 मरीजों का निजी क्षेत्र से रजिस्ट्रेशन किया गया है। 128 मरीजों की मौत हो चुकी है।
राज्य में वर्ष 2017 में निजी अस्पतालों में उपचार करने वालों की संख्या 68 हजार 484 थी, जो वर्ष 2018 में बढ़कर 2 लाख, 67 हजार 706 तक पहुंच गई। लगातार बढ़ रही मरीजों की संख्या से टीबी की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है। टीबी के मरीजों को खोजने के लए 2018 में चलाए गए जांच अभियान में झोपड़पट्टी इलाकों के 9 लाख में से 6 लाख लोगों की जांच की गई।
पूरी तरह ठीक हो सकता है क्षयरोग
टीबी का प्राथमिक लक्षण 15 दिन से अधिक चलने वाली खांसी और बुखार है। दवा लेने के बाद भी समस्या बनी रहे, तो सरकारी या िनजी अस्पताल में टीबी की जांच कराना चाहिए। डॉक्टर की सलाह और सही उपचार से बीमारी पूरी तरह ठीक हो सकती है।
- डॉ. अशीष दिसावल, अध्यक्ष, आईएमए गई। इसमें 94 टीबी के मरीज मिले। लेकिन कर्मचारियों की कमी से 3 लाख लोगों की जांच नहीं हो पाने की जानकारी डॉ. तुमाने ने दी।
Created On :   27 March 2019 2:23 PM IST












