प्राइवेट कॉलेजों को लुभा रहे निजी सर्वेक्षण व रैकिंग सिस्टम

Private survey and ranking system attracting private colleges
प्राइवेट कॉलेजों को लुभा रहे निजी सर्वेक्षण व रैकिंग सिस्टम
प्राइवेट कॉलेजों को लुभा रहे निजी सर्वेक्षण व रैकिंग सिस्टम

डिजिटल डेस्क, नागपुर।   देश भर के प्रबंधन संस्थानों (बी-स्कूल्स) का मूल्यांकन करके हाल ही में "द-वीक" मैगजीन व "हंसा रिसर्च सर्वे" ने नेशनल रैंकिंग जारी की है। इनके द्वारा जारी "बेस्ट बी-स्कूल्स" की सूची में नागपुर के दो प्रबंधन संस्थानों को जगह मिली है। सरकारी और निजी कॉलेजों को मिला कर तैयार की गई इस सूची में शहर के काटोल रोड स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (आईएमटी) को 39वीं रैंक (365 कंपोजिट स्कोर) और वर्धा रोड स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट को 160वीं रैंक (203 कंपोजिट स्कोर) दिया गया है। दोनों संस्थानों में  खुशी की लहर है।

शिक्षाविदों का नजरिया
गौरतलब है कि इसके पूर्व भी अनेक संस्थाओं के निजी सर्वेक्षणों में शहर के विविध निजी कॉलेजों को स्थान मिलता रहा है। एक ओर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एनआईआरएफ रैंकिंग और दूसरी और इन निजी सर्वेक्षणों को शिक्षाविद और कॉलेज किस प्रकार से देखते हैं, भास्कर ने इस संदर्भ में जानकारों से चर्चा की। कितने महत्वपूर्ण होते हैं निजी सर्वेक्षण?

हर पहलू पर अंक
निजी संस्थाएं सर्वेक्षण और रैंकिंग तय करते समय जरा अलग मापदंड अपनाती हैं। उदाहरण के तौर पर- सर्वेक्षण में शिक्षाविदों, विद्यार्थियों, कंपनियों को एक प्रश्नोत्तरी देकर उनकी पसंद "बेस्ट बी-स्कूल" पूछा गया। इसके अलावा कॉलेजों के इंफ्रास्ट्रक्चर को 20%, फैकल्टी को 12.5%, टीचिंग लर्निंग प्रोसेस को 30% और प्लेसमेंट को 37.5% महत्व दिया गया। जनमत और कॉलेजों के फैक्चुअल जानकारी के आधार पर कंपोजिट स्कोर तैयार करके संस्थानों को रैंकिग दी गई है। 

जानकारों का कहना है 
सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट की निदेशक डॉ. आमिषी अरोड़ा कहती हैं- निजी सर्वेक्षणों में मिली रैंकिंग का फायदा एडमिशन मिलने में होता है। ऐसा उन्हें नहीं लगता। रैंकिंग संस्थान की प्रतिष्ठा स्थापित करने में मदद जरूर करती है। हमारे संस्थान में विद्यार्थी केंद्रित अध्यापन प्रणाली और आंत्राप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट पर अधिक जोर दिया जाता है। सर्वेक्षण में हमें इसका बहुत फायदा मिला है।

निजी सर्वेक्षण में फायदा होता है
आईएमटी के प्रोफेसर सरबजीत सिंह कहते हैं- इस प्रकार के सर्वेक्षणों में हिस्सा लेना इसलिए फायदेमंद होता है, क्योंकि अधिक से अधिक विद्यार्थियों को आपके कॉलेज के बारे में पता चलता है। दूसरा, हमें यह पता चलता है कि अन्य संस्थानों के मुकाबले हमारा कॉलेज कितना बेहतर है। रैंकिंग में कितना फर्क है। इसके आधार पर सुधार कर सकते हैं। सरकारी सर्वेक्षणों में मुकाबला निजी कॉलेजों के लिए थोड़ा मुश्किल होता है। उनके मापदंडों में अलग होने के कारण एक हद तक सरकारी कॉलेजों को एडवांटेज होता है। ऐसे में निजी सर्वेक्षण निश्चित तौर पर हमारे लिए फायदेमंद हैं।
 

Created On :   18 Nov 2020 9:56 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story