आरक्षण को लेकर नहीं चल सकी विधानसभा की कार्यवाही,  मुंडे बोले- मराठा युवकों की हो रही गिरफ्तारी

Proceedings of the houses postponed on the reservation issue
आरक्षण को लेकर नहीं चल सकी विधानसभा की कार्यवाही,  मुंडे बोले- मराठा युवकों की हो रही गिरफ्तारी
आरक्षण को लेकर नहीं चल सकी विधानसभा की कार्यवाही,  मुंडे बोले- मराठा युवकों की हो रही गिरफ्तारी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सूखा, मराठा, धनगर और मुस्लिम समाज के आरक्षण के मुद्दे पर विधान परिषद में गतिरोध बरकरार है। विधान परिषद में विपक्ष ने चौथे दिन भी सदन का कामकाज नहीं चलने दिया। विपक्ष के सदन सभापति के आसन के सामने वेल में आकर जोरदार घोषणाबाजी करने लगे। पहले सदन का कामकाज दो बार स्थगित करना पड़ा। हंगामा न रुकता देख सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। सोमवार को सदन का नियमित कामकाज शुरू होने के बाद सदन में विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे ने कार्य स्थगन प्रस्ताव के जरिए सूखे और आरक्षण का मुद्दा उठाया। मुंडे ने कहा कि प्रदेश में महाभयंकर सूखा पड़ा है लेकिन सरकार सूखा प्रभावितों के लिए पांच सहूलियतों को प्रभावी रूप से लागू नहीं कर रही है। सूखा ग्रस्त किसानों को आर्थिक मदद नहीं दी जा रही है। सरकार जब तक ठोस फैसला नहीं करती, तब सदन का कामकाज चलने नहीं दिया जाएगा। मुंडे ने कहा कि राज्य पिछ़ड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट मीडिया में लीक हो गई है। लेकिन सरकार उस रिपोर्ट को सदन में पेश नहीं कर रही है। 

मराठा युवकों की हो रही गिरफ्तारी : मुंडे

मुंडे ने कहा कि मराठा समाज के आरक्षण के लिए आंदोलन करने आए युवकों को मुंबई और राज्य के अन्य हिस्सों से गिरफ्तार किया जा रहा है। आंदोलकारियों को मुंबई में आने से रोका जा रहा है। मुंडे ने कहा कि धनगर आरक्षण के लिए टीस की रिपोर्ट सरकार को मिले दो महीने से अधिक समय हो गया है लेकिन यह रिपोर्ट भी सरकार सदन में पेश नहीं कर रही है। इस दौरान सदन में विपक्ष के सदस्यों के हंगामे के बीच प्रदेश के राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटील ने कहा कि सूखा प्रभावित इलाकों के लिए सरकार की तरफ से 8 सहूलियतें दी जा रही है। जिन विद्यार्थियों की परीक्षा फीस पहले वसूली गई है उसको भी वापस करने का आदेश दिया गया है।

इसी सप्ताह पेश होगा मराठा आरक्षण विधेयक

पाटील ने कहा कि 26/11 घटना की 10 वीं बरसी के मद्देनजर आंदोलनकारियों को सोमवार को मुंबई में आने से रोका गया है। किसी कि गिरफ्तारी नहीं की गई है। पाटील ने कहा कि सरकार मराठा समाज को आरक्षण देने का विधेयक इसी सप्ताह में सदन में पेश कर रही है तो आंदोलन करने की जरूरत क्या है। विधान परिषद में कांग्रेस सदस्य हरिसिंग राठोड ने प्रदेश के शिक्षा मंत्री विनोद तावडे की शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) लेने की मांग कर डाली। राठोड ने कहा कि एक बार शिक्षा मंत्री की टीईटी लेनी चाहिए। फिर देखते हैं वे पास होते हैं या नहीं। इसके जवाब में शिक्षा मंत्री तावडे ने कहा कि मैं प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री वसंत पुरके, पूर्व शिक्षा मंत्री राजेंद्र दर्डा और कांग्रेस सदस्य राठोड के साथ मिलकर टीईटी देने को तैयार हूं। टीईटी परीक्षा परिणाम में मैं प्रथम स्थान पर नहीं आता, तो राठोड जो बोलेंगे वो मैं करने को तैयार रहूंगा।

दरअसल, सोमवार को ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए सदन में निर्दलीय सदस्य दत्तात्रय सावंत ने शिक्षकों को टीईटी देने से रियायत देने की मांग की। इस पर तावडे ने कानून के तहत टीईटी साल 2010 में लागू हुआ। लेकिन प्रदेश में टीईटी लागू करने के लिए साल 2013 में शासनादेश जारी किया गया। यदि उस समय कि सरकार और शिक्षा मंत्री सक्षम होते तो शासनादेश समय पर जारी होता। साल 2010 से 2013 के बीच नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से छूट देने की मांग सदन के शिक्षक विधायक लगातार कर रहे हैं। लेकिन यदि हमें केंद्र सरकार के कानून का पालन करना होगा। तावडे ने कहा कि ये शिक्षक स्कूलों में पांच से छह साल से पढ़ा रहे हैं। लगातार पढ़ाने का अनुभव होने के बाद भी टीईटी पास करने में उन्हें कठिनाई क्या है। यह मुझे समझ में नहीं आता है। 

कानूनी पहलूओं के अध्ययन के बाद फैसला 

तावडे ने कहा कि शिक्षकों को टीईटी देने से रियायत देने का फैसला कानून की कसौटी पर खरा उतरेगा या नहीं। इस पर अध्ययन करने के बाद फैसला किया जाएगा। यदि यह संभव नहीं होता तो शिक्षकों को टीईटी पास करने के लिए सरकार एक साल का समय और देने पर विचार करेगी। क्योंकि टीईटी पास करने की तीन साल की अवधि खत्म हो चुकी है।

जांच के अधीन मामलों के बारे में कानूनी राय लेगी सरकार

प्रदेश में राजनीतिक कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों पर दर्ज साल 2015 तक के मामलों में से जिन प्रकरण की जांच चल रही है, क्या उसे जांच के दौरान ही वापस लिया जा सकता है? इस बारे में कानूनी दृष्टि से अध्ययन के बाद इस बारे में फैसला लिया जाएगा। विधान परिषद में प्रदेश के गृह राज्य मंत्री दीपक केसरकर ने यह जानकारी दी। केसरकर ने कहा कि जिन मामलों में चार्जशीट दाखिल हुए हैं केवल उसी मामले को जिला स्तरीय समिति की सिफारिश के बाद अदालत की अनुमति से वापस लिए जा सकते हैं। लेकिन जिन मामलों की जांच शुरू है, उसको वापस लेने क बारे में कानूनी पहलुओं का अध्ययन करने के बाद उचित फैसला किया जाएगा। सोमवार को विधान परिषद में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए शिवसेना के सदस्य गोपीकिसन बाजोरिया ने यह मुद्दा उठाया था।

बाजोरिया ने कहा कि अकोला, बुलढाणा, वाशिम, हिंगोली और परभणी में दर्ज मामले वापस लेने की प्रक्रिया धीमी गति से चल रही है। इसके जवाब में केसरकर ने कहा कि इस संबंध में पांचों जिलों के अधिकारियों की बैठक शीतसत्र खत्म होने के बाद 15 दिनों में बैठक बुलाई जाएगी। केसरकर ने कहा कि राजनीतिक कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों पर दर्ज मामले को वापस लेने के संबंध में पालक मंत्रियों को समीक्षा बैठक करने के लिए सर्कुलर जारी किया जाएगा। 

अकोला में वापस लिए 136 मामले

केसरकर ने बताया कि अकोला जिला स्तरीय समिति के माध्यम से 136 राजनीतिक मामले वापस लिए जा चुके हैं। बुलढाणा जिले में जिला स्तरीय समिति के माध्यम से 242 मामले में से 203 प्रकरण वापस करने की सिफारिश की गई। जिसमें से 188 मामले का निपटान अदालत के माध्यम से कर दिया गया है। वाशिम में जिला स्तरीय समिति के पास 33 मामले वापस लेने का प्रस्ताव मिला है। जिसमें से 26 मामले को वापस लेने की सिफारिश समिति ने अदालत से की है। इसमें से 23 मामले वापस लिए जा चुके हैं जबकि 3 मामले अदालत में आदेश के लिए प्रलंबित है। एक सवाल के जवाब में केसरकर ने कहा कि मराठ आंदोलन में शामिल लोगों के खिलाफ दर्ज मामले को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू है। केसरकर ने बताया कि मामले वापस लेने के लिए प्रदेश के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की उपसमिति बनाई गई है। यह समिति प्राप्त आवेदनों पर फैसला करके  जिला स्तरीय समिति के पास प्रस्ताव भेजती है। 
 

Created On :   26 Nov 2018 3:55 PM GMT

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