प्रोडक्शन कॉस्ट ज्यादा होने से निर्माता नहीं करते संगीतमय नाट्य मंचन

Producer does not make musical drama stage due to much of a production cost
प्रोडक्शन कॉस्ट ज्यादा होने से निर्माता नहीं करते संगीतमय नाट्य मंचन
प्रोडक्शन कॉस्ट ज्यादा होने से निर्माता नहीं करते संगीतमय नाट्य मंचन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ने से शहर में संगीतमय नाटक का मंचन अब दूर की बात हो गई है।  शहर में नाटकों का मंचन तो बहुत होता है, लेकिन संगीतमय नाटक का मंचन न के बराबर होता है। यदि कभी हुआ भी, तो उसका प्रोडक्शन  मुंबई, पुणे में हुआ है। नागपुर में गिने-चुने ही संगीतमय नाटक के प्रोडक्शन हुए हैं। कलाकारों का कहना है कि संगीतमय नाटक की परंपरा पुरानी है। इसमें कलाकार को अभिनय ओर गायन साथ-साथ करना पड़ता है, साथ ही वाद्य यंत्राें के साथ सुर-ताल का सामंजस्य बैठाना पड़ता है। संगीतमय नाटक का मंचन क्यों नहीं किया जाता है, इसका कारण क्या है, इस संबंध में जब शहर के कलाकारों से चर्चा की गई, तो पता चला कि इसके लिए मुख्य कारण प्रोडक्शन कॉस्ट ज्यादा होना है, इसलिए निर्माता इसका मंचन नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि शहर में संगीतमय नाटक के प्रयोग नाम मात्र ही हुए हैं।

कलाकारों के पास समय नहीं
संगीतमय नाटक नहीं होने का एक प्रमुख कारण यह भी हो सकता है कि वादक कलाकारों के पास समय नहीं है। आज के समय सभी को आर्केस्ट्रा और रियलिटी शोज में जाना होता है। ऐसे में नाटक में वादक कलाकारों की कमी हो जाती है, जो कि संगीतमय नाटक के लिए बहुत जरूरी है। इसके कलाकार अभिनय, गायन में परिपक्व होने चाहिए, तभी वो सफल हो सकता है। नाटक में अभिनय करने वाले कलाकारों से वादक कलाकारों की भूमिका कम नहीं होती है। वादक, कलाकारों के संवाद के साथ ही अपनी स्पीड को घटाता-बढ़ाता है।  (किशोर आयलवार, कलाकार)

प्रोडक्शन वैल्यू ज्यादा  है 
संगीतमय नाटक में प्रोडक्शन कॉस्ट बहुत ज्यादा है, इसलिए यहां के निर्माता इसे नहीं करना चाहते हैं। संगीतमय नाटक में कलाकारों को सुर-ताल पर भी विशेष ध्यान देना पड़ता है। शहर में कलाकार तो बहुत हैं, लेकिन वे या तो अभिनय के क्षेत्र में हैं या फिर गायन के क्षेत्र में हैं। संगीतमय नाटक का मंचन नहीं होने से कलाकार भी इसमें रुचि नहीं लेते हैं। मैंने संगीतमय नाटक कृष्ण सखा में रुक्मणि का रोल किया था, जिसके कई प्रयोग किए जा चुके हैं। कलाकार के अभिनय के साथ ही उसकी गायकी भी मजबूत होनी चाहिए।(भाग्यश्री चिटणीस, कलाकार)

कलाकार बहुत है पर निर्माताओं की कमी है 
ऐसा नहीं है कि हमारे शहर में कलाकारों की कमी है। कलाकार तो एक से बढ़कर एक हैं, लेकिन संगीतमय नाटक के निर्माताओं की कमी है। कोई भी निर्माता संगीतमय नाटक में पैसा लगाने में ज्यादा इंट्रेस्टेड नहीं होता है, क्योंकि संगीतमय नाटक बनाने में प्रोडक्शन कॉस्ट साधारण नाटक से ज्यादा होती है। इसमें अभिनय के साथ वादक कलाकार भी होते हैं, जो कलाकार के संवाद के साथ वाद्य यंत्रों को बजाते हैं। उदाहरण के लिए अगर कोई राधा-कृष्ण का संगीतमय नाटक है, तो वह ब्ल्यू करटन पर भी किया जा सकता है। कृष्ण को मेटल का मुकुट लगाने के बजाय साधारण मुकुट भी पहनाया जा सकता है, लेकिन उसमें उतनी सुंदरता नहीं दिखेगी, जितनी कि मेटल के मुकुट में होती है और मेटल के मुकुट का खर्च साधारण  मुकुट से कहीं ज्यादा होता है। साथ ही इसमें लाइटिंग और नई-नई टेक्नोलॉजी का समावेश होता है, जो कि साधारण नाटक से अधिक महंगा होता है।  (प्रफुल्ल माटेगांवकर, कलाकार)

Created On :   5 Oct 2018 8:57 AM GMT

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