महाराष्ट्र : चावल में पोषक तत्व बढ़ाने के लिए शुरू होंगे प्रोजेक्ट

Project for the preparation of nutritious rice will in gadchiroli
महाराष्ट्र : चावल में पोषक तत्व बढ़ाने के लिए शुरू होंगे प्रोजेक्ट
महाराष्ट्र : चावल में पोषक तत्व बढ़ाने के लिए शुरू होंगे प्रोजेक्ट

मोहनीश चिपिये, गड़चिरोली। आदिवासी बहुल और नक्सल प्रभावित गड़चिरोली जिले में दिन ब दिन बढ़ रहे एनिमिया के मरीजों की संख्या में कमी लाने के लिये राज्य सरकार ने  एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस निर्णय के तहत जिले की भामरागढ़ और कुरखेड़ा तहसील में टाटा ट्रस्ट फोर्टिफाइड (पोषक तत्वों से युक्त)चावल निर्माण करने का प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा। पोषक तत्व से परिपूर्ण इस चावल के माध्यम से क्षेत्र में एनिमिया जैसे  रोग पर नियंत्रण पाने का प्रयास किया जाएगा। 

टाटा ट्रस्ट का रहेगा सहयोग
बता दें कि जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा हाल ही में किये गये एक सर्वेक्षण में जिले की भामरागढ़ और कुरखेड़ा तहसील में एनिमिया ग्रस्त मरीजों की संख्या अधिक पायी गयी थी। स्वास्थ्य विभाग ने यह रिपोर्ट राज्य सरकार को पेश की थी। 
इस रिपोर्ट पर गहन अध्ययन करते हुए सरकार ने टाटा ट्रस्ट के माध्यम से फोर्टिफाइड चावल विकसित करने का निर्णय लिया है। इसके लिये दोनों स्थानों पर प्रायोगिक तत्व पर 12 महीनों के लिए परियोजना का क्रियान्वयन किया जाएगा। दोनों प्रकल्प प्रायोगिक तत्व पर आरंभ किये जाने से चावल की मिलिंग के लिये जिले के किसी भी एक मिलर का चयन टाटा ट्रस्ट और जिलाधिकारी करेंगे। पूरे एक वर्ष तक पोषक चावल का उत्पादन कर इसे सरकारी राशन दुकानों के माध्यम से ग्रामीणों तक पहुंचाया जाएगा। ज्ञात हो कि एनिमिया के कारण  अब तक जिले के 10 से अधिक नागरिकों की मृत्यु हो चुकी  है।

राज्य में 53 फीसदी नौनिहालों में पाया गया एनिमिया
वर्ष 2015-16  के चौथे राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक प्रदेश के 53 फीसदी नौनिहालों में एनिमिया पाया गया है। वहीं 56 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में भी एनिमिया दिखायी दिया है। एनिमिया पर नियंत्रण रखने के लिये स्वास्थ्य विभाग द्वारा विटामिन की गोलियों समेत फॉलिक एसिड की गोलियों का वितरण किया जाता है। गड़चिरोली जिले में विभिन्न आंगनवाड़ियों समेत चिकित्सालयों के माध्यम से इन गोलियों का वितरण किया जाता है।

विटामिन की कमी है  एनिमिया का प्रमुख कारण 
रोजमर्रा के भोजन में विटामिन ए, बी-9, बी-12 की कमी से एनिमिया होता है। आमतौर पर जिले में उगाए जाने वाला धान रासायनिक खाद वाला होता है जिसमें लौह का प्रमाण काफी कम पाया जाता है। इसी कारण भामरागढ़ और कुरखेड़ा जैसी तहसीलों में एनिमिया के मरीजों में वृध्दि हो रही है।

Created On :   2 Jun 2018 4:17 PM IST

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