कचरा कम्पनी का प्रोजेक्ट मैनेजर 15 लाख के साथ गिरफ्तार, वाहन चेकिंग के दौरान बरामद हुई रकम

Project manager arrested with 15 lakh, recovery during vehicle checking
कचरा कम्पनी का प्रोजेक्ट मैनेजर 15 लाख के साथ गिरफ्तार, वाहन चेकिंग के दौरान बरामद हुई रकम
कचरा कम्पनी का प्रोजेक्ट मैनेजर 15 लाख के साथ गिरफ्तार, वाहन चेकिंग के दौरान बरामद हुई रकम

डिजिटल डेस्क,सतना। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के मद्देनजर निर्धारित मानदंड से अधिक नगदी लेकर चलने पर आयोग की तरफ से रोक लगाई गई है। इसी के तहत पुलिस ने कचरा प्रबंधन कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर को 15 लाख रुपए की रकम के साथ गिरफ्तार किया है। पुलिस ने यह कार्रवाई मुखबिर की सूचना पर की है। इस संबंधमें टीआई आरपी सिंह ने जानकारी दी कि मुखबिर से सूचना मिली की बोलेरो क्रमांक एमपी 17 टीए 2978 में एक व्यक्ति काफी बड़ी रकम लेकर रीवा से सतना आ रहा है, लिहाजा हवाई पट्टी मोड़ पर वाहन चेकिंग शुरू कर दी गई।

इस दौरान तकरीबन साढ़े 12 बजे सफेद रंग की बोलेरो आई, जिसे रोककर तलाशी लेेने पर एक बैग से बड़ी रकम बरामद हुई जिसके संबंध में गाड़ी में बैठे युवक से पूछताछ की गई तो उसने अपना नाम बैजवाड़ा वामसी श्रीकृष्णा पुत्र रामचंद्र मूर्ति बैजवाड़ा निवासी आंगल-आंध्रप्रदेश बताते हुए खुद को रामकी इंजीनियरिंग कंपनी आंधप्रदेश की सहायक कंपनी एमएसडब्ल्यू (कचरा प्रबंधन) शिल्पीकुंज रीवा का प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर कार्यरत होने की जानकारी दी।  लेकिन वह रुपए के संबंध में स्पष्ट जवाब नहीं दे पाया। एफएसटी-7 व एफएसटी-8 के अलावा इनकम टैक्स विभाग की असिस्टेंट कमिश्नर मीनाक्षी अम्मा आर को टीम के साथ बुला लिया गया। सभी की मौजूदगी में बैग खोलकर तलाशी ली गई तो उसमें से 2-2 हजार के 750 नोट कुल 15 लाख रुपए बरामद हुए।

इतनी बड़ी रकम साथ लेकर चलने को लेकर प्रोजेक्ट मैनेजर समाधानकारक जवाब प्रस्तुत नहीं कर सका और न ही कोई दस्तावेज दे पाया, लिहाजा रकम को जब्त कर इनकम टैक्स विभाग की टीम ने अपने कब्जे में लेकर आगे की जांच शुरू कर दी है। कार्रवाई एफएसटी-7 के प्रभारी आरएम पांडेय, एएसआई केपी मिश्रा, एफएसटी-8 के प्रभारी आशीष कुमार शर्मा, कोलगवां थाने के आरक्षक अजीत सिंह व सैनिक ओमप्रकाश द्विवेदी शामिल रहे।
 

कम्पनी के अफसरों की होगी पूछताछ

पूछताछ में प्रोजेक्ट मैनेजर के जरिए जानकारी मिली है कि जब्त रकम  नगर निगम क्षेत्र से कचरा उठाकर रीवा के प्लांट तक पहुंचाने में लगे वाहनों के डीजल और कर्मचारियों के वेतन के लिए निकाली गई थी। सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि कम्पनी के द्वारा 2 लाख रूपए से ज्यादा के डीजल का भुगतान नगद ही किया जा रहा था। इसके जरिए शासन और इंकम टैक्स विभाग को चूना लगाने का खेल चल रहा था। कार्रवाई से जुड़े अफसरों की मानें तो कम्पनी के पास कोई वाजिब जवाब है ही नहीं। ऐसे में जब्त रकम वापस मिलने से रही, उल्टे अब तक का लेनदेन भी जांच के दायरे में आ गया है।

Created On :   11 April 2019 1:08 PM IST

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