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कैबिनेट में रखा जाएगा सिकलसेल एक्सिलेंस सेंटर का प्रस्ताव

डिजिटल डेस्क, नागपुर। संतरानगरी के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेडिकल) में बनने वाले सिकलसेल एक्सिलेंस सेंटर की समीक्षा बैठक रविवार को इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेयो) में आयोजित हुई। यह बैठक चिकित्सा शिक्षा एवं शोध संचालनालय के सचिव संजय देशमुख ने ली थी। इस दौरान उन्होंने बताया कि सिकलसेल सेंटर का प्रस्ताव कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा। इस अवसर पर उन्होंने अब तक सिकलसेल सेंटर बनाने की दिशा में हुए कार्यों की समीक्षा भी की। बैठक में प्रमुख रूप से विधायक डॉ. मिलिंद माने, मेयो की डीन डॉ. अनुराधा श्रीखंडे, अधीक्षक डॉ. संध्या मांजरेकर, बालरोग विभाग प्रमुख डॉ. दीप्ति जैन उपस्थित थे।
2 एकड़ जगह चिह्नित
जानकारी के अनुसार मेडिकल के नर्सिंग कॉलेज के पीछे सिकलसेल सेंटर के लिए 2 एकड़ जगह चिह्नित की गई है। इस जगह पर पांच मंजिला इमारत बनाई जाएगी। दो चरणों में काम होगा। पहले चरण में काउंसलिंग, स्क्रिनिंग, डायग्नोसिस व उपचार होगा। पहले चरण को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) बनाएगा और पांच साल तक सहयोगी के रूप में रहेगा। वहीं दूसरे चरण में केन्द्र सरकार, राज्य सरकार के अलावा निजी संस्थाएं मदद करेंगी। इसमें बोनमेरो ट्रांसप्लांट व जीन रिप्लेसमेंट थेरेपी की प्रक्रिया की जाएगी। सिकलसेल सेंटर के कार्य की गति को देखकर ऐसा लग रहा है कि, 2019 में उसका निर्माण कार्य आरंभ हो जाएगा।
मेडिकल में ही बनेगा सेंटर
सिकलसेल एक्सिलेंस सेंटर को डॉ. बाबासाहब आंबेडकर अस्पताल में बनाने का प्रस्ताव था, क्योंकि सिकलसेल बीमारी एक विशेष समुदाय में देखने को मिलती है। इस समुदाय की जनसंख्या उत्तर नागपुर में अधिक है, जिसको लेकर उसी क्षेत्र में सेंटर बनाने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन जगह के अभाव के कारण अंत में उसे मेडिकल में बनाने का निर्णय लिया गया है। बता दें कि मेडिकल में नर्सिंग कॉलेज के पीछे जिस जगह को चिह्नित किया गया है, वहां बड़ी संख्या में पेड़ हैं। मेडिकल प्रबंधन पहले ही कई पेड़ काट चुका है, लेकिन पेड़ लगाने में बहुत पीछे है।
Created On :   29 May 2018 5:07 PM IST