3 हजार करोड़ के ई-टेंडर घोटाले में अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में नाकाम, छह आरोपी बरी, कोर्ट ने सुनाया फैसला

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मध्य प्रदेश 3 हजार करोड़ के ई-टेंडर घोटाले में अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में नाकाम, छह आरोपी बरी, कोर्ट ने सुनाया फैसला

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश के चर्चित तीन हजार करोड़ ई-टेंडर घोटाले में भोपाल की स्पेशल कोर्ट ने बुधवार को 6 आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष घोटाला साबित नहीं कर पाया और आरोपों को प्रमाणित करने में नाकाम रहा।  मध्य प्रदेश के ई-टेंडर घोटाले के मामले की सुनवाई ईओडब्ल्यू की विशेष अदालत के जज संदीप कुमार श्रीवास्तव की कोर्ट में चल रही थी। इस मामले में मध्य प्रदेश इलेक्ट्रानिक विकास निगम के ओएसडी नंद किशोर ब्रह्मे,ओस्मो आईटी सॉल्यूशन के डायरेक्टर वरुण चतुर्वेदी, विनय चौधरी, सुमित गोवलकर, एंटारस कंपनी के डायरेक्टर मनोहर एमएन और भोपाल के व्यवासायी मनीष खरे आरोपी थे। ईओडब्ल्यू ने अप्रैल, 2019 में तीन हजार करोड़ के इस ई-टेंडरिंग घोटाले में केंद्र सरकार की कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सर्ट-इन) की छेड़छाड़ संबंधी तकनीकी रिपोर्ट व साक्ष्यों के आधार पर एफआईआर दर्ज की थी। 

इसमें जल निगम के 3, पीडब्ल्यूडी के 2, जल संसाधन विभाग के 2, सड़क विकास निगम के 1 और पीडब्ल्यूडी (पीआईयू) का 1, कुल 9 टेंडरों के सरकारी सॉफ्टवेयर में टेंपरिंग के आरोप में केस दर्ज किया था। इसमें हैदराबाद ईओडब्ल्यू ने कंस्ट्रक्शन कंपनियों समेत सॉफ्टवेयर कंपनी ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन प्रालि कंपनी के संचालकों और अन्य को आरोपी बनाया था। लंबे समय तक विवेचना करने के बाद ईओडब्ल्यू ने आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया था। ब्रह्मे की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वकील प्रशांत हरने ने बताया कि 35 गवाहों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने सभी 6 आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित नहीं कर सका।

  ज्ञात हो कि ई-टेंडर घोटाला 2018 में हुआ था। इसमें एफआईआर 2019 में दर्ज की गई थी। करीब 3 हजार करोड़ के ई टेंडर घोटाले में साक्ष्यों एवं तकनीकी जांच में प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ कर विभिन्न कंपनियों को लाभ पहुंचाने का आरोप था। इस मामले में ईओडब्ल्यू ने हार्डडिस्क के एनालिसिस रिपोर्ट के बाद एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही थी। जहां ईओडब्ल्यू कोर्ट के सामने आरोप साबित नहीं कर पाया।

Created On :   23 Nov 2022 10:13 PM IST

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