- Home
- /
- शहर में 1901 में हुई थी सार्वजनिक...
शहर में 1901 में हुई थी सार्वजनिक गणेशोत्सव की शुरुआत

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा का गणेशोत्सव पर्व पूरे प्रदेश में खास पहचान रखता है। यहां पर गणशोत्सव को सार्वजनिक रुप से मनाए जाने की पंरपरा एक सदी से भी अधिक प्राचीन है। देश की आजादी के पहले शहर में सार्वजनिक गणेशोत्सव की शुरुआत हो गई थी। लगभग 122 वर्ष पूर्व शहर में भगवान गणेश जी की पहली सार्वजनिक प्रतिमा स्थापित की गई थी। माना जाता है कि गणेशोत्सव की परंपरा मराठा काल में प्रारंभ हुई थी।
तब व्यक्तिगत तौर पर घरों में भगवान गणेश जी की प्रतिमाओं की स्थापना की जाती थी। देश में गणेशोत्सव के सार्वजनिक स्वरुप की शुरुआत 1893 ई. से मानी जाती है। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने राष्ट्रीय एकता की अलख जगाने के लिए गणेश पूजा को सार्वजनिक महोत्सव का स्वरुप दिया था। इसके कुछ वर्ष बाद 1901 में छिंदवाड़ा शहर में भी सार्वजनिक गणेशोत्सव की शुरुआत हो गई।
122 वर्षों से स्थापित हो रही श्रीगणेश जी की प्रतिमा
छिंदवाड़ा शहर में सार्वजनिक गणेशोत्सव की शुरुआत छोटी बाजार से हुई। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विश्वनाथ साल्पेकर के निवास पर गणेशोत्सव को सार्वजनिक रुप से मनाए जाने की शुरुआत होने के बाद शहर में विभिन्न स्थानों पर सार्वजनिक रुप से गणेशोत्सव मनाए जाने का क्रम प्रारंभ हुआ था। बाल गोपाल समाज के संरक्षक रमेश पोफली बताते हैं कि वर्ष 1901 में विश्वनाथ दामोदर साल्पेकर के भवन में पहली बार सार्वजनिक रुप से गणेशोत्सव पर्व मनाया गया था। उस समय सीमित संसाधनों में प्रतिमा की स्थापना का क्रम प्रारंभ हुआ। तब गैस बत्ती, लालटेन और मशाल से पूजा पंडाल में रोशनी की जाती थी।
विसर्जन के लिए प्रतिमा को कांधे पर डोला में ले जाया जाता था। साल्पेकर भवन के बाद विभिन्न स्थानों पर प्रतिमा की स्थापना की गई। वर्तमान में बाल गोपाल समाज द्वारा गणेश चौक पर प्रतिमा की स्थापना की जा रही है। वर्ष 2000 में बाल गोपाल समाज ने गणेशोत्सव पर्व का शताब्दी वर्ष मनाया था। यह प्रतिमा स्थापना का 122 वां वर्ष है। इस वर्ष बाल गोपाल समाज ने भगवान हनुमान जी द्वारा संजीवनी बूटी लाने की अत्यंत मनमोहक झांकी तैयार की है।
Created On :   31 Aug 2022 10:27 PM IST