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प्रयोजनमूलक हिंदी वक्त की जरूरत है : प्रो. टंडन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रयोजनमूलक हिंदी ही वास्तव में जीवन व्यवहार की हिंदी है। हिंदी को राष्ट्रीय स्वीकृति उसकी प्रयोजनमूलकता के कारण ही मिली है। प्रयोजनमूलक हिन्दी वक्त की जरूरत होने का विचार दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. पूरनचंद टंडन ने व्यक्त किया। हिंदी विभाग राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ऑनलाइन व्याख्यान में प्रो. टंडन प्रयोजनमूलक हिंदी की विविध प्रयुक्तियों पर बोल रहे थे। आगे उन्होंने कहा कि हिंदी के प्रयोजनपक्ष को जितना अधिक व्यवहार में लाया जाएगा, उतना ही हिंदी का विकास होगा। हिंदी के राष्ट्रव्यापी स्वरूप और आज के वैधीकरण के दौर में उसकी बढ़ती उपयोगिता को समझना चाहिए।
हिंदी में रोजगार की अनंत संभावनाएं
गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रो. संजीव दुबे ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में हिंदी में रोजगार की अनंत संभावनाएं है। आज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का स्वरूप व्यापक हो चुका है। आज हर व्यक्ति के हाथ में ऐसा उपकरण है, जो जनसंचार का सबसे प्रमुख माध्यम बन चुका है। आगे उन्होंने कहा कि यह कहना गलत नहीं होगा कि हिंदी के कारण ही आज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का बाजार इतनी तेजी से फल-फूल रहा है। प्रस्तावना रखते हुए हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडेय ने कहा कि हिंदी प्रयोजननीयता ही उसके विस्तार का प्रमुख कारण है। अतिथि वक्ताओं का परिचय डॉ. निखिलेश यादव और डॉ. गजानन कदम ने किया। आभार विभाग के सहायक प्रो. संतोष गिर्हे ने माना।
Created On :   28 Jan 2021 3:23 PM IST