पीडब्ल्यूडी का अजीबोगरीब कामकाज, सालों से न पदोन्नति और न वेतनवृद्धि

PWDs peculiar functioning, neither promotion nor increment for years
पीडब्ल्यूडी का अजीबोगरीब कामकाज, सालों से न पदोन्नति और न वेतनवृद्धि
पीडब्ल्यूडी का अजीबोगरीब कामकाज, सालों से न पदोन्नति और न वेतनवृद्धि

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सार्वजनिक निर्माणकार्य विभाग (पीडब्ल्यूडी) के विद्युत विभाग में मजदूर के रूप में लगे कर्मचारियों की अजीब दास्तान है। विभाग में एक बार इस पद पर नियुक्ति होने के बाद संबंधित कर्मचारी जिंदगी भर उसी पद का होकर रह जाता है। मजदूरों के अनुभव को देखते हुए उन्हें सर्विस रिकार्ड में तारतंत्री दर्शाया गया, लेकिन  उन्हें न तो पदोन्नति का लाभ दिया गया और न वेतनवृद्धि का। सेवानिवृत्ति की उम्र 60 होने के बावजूद उन्हें 58 में सेवानिवृत्त किया जा रहा है।  पेंशन का कोई प्रावधान नहीं है। 

कुछ माह मिला वेतनवृद्धि का लाभ  
कर्मचारी संगठनों के संघर्ष और सरकार से लगातार पत्र-व्यवहार के बाद शासन आदेश पर दो बार इन्हें वेतनवृद्धि देने का निर्णय हुआ। कुछ महीने तक इन्हें वेतनवृद्धि का लाभ भी मिला, लेकिन बाद में आदेश में गलती बताते हुए विभाग ने जितने महीने वेतनवृद्धि का लाभ दिया, वह छीन लिया। नागपुर सहित राज्य में ऐसे सैकड़ों कर्मचारी हैं, जो इस अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद किए हुए हैं। लेकिन सरकार से लेकर विद्युत विभाग के सभी बड़े अधिकारी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। मुख्य अभियंता संदीप पाटील, अधीक्षक अभियंता हेमंत पाटील, कार्यकारी अभियंता मनीष पाटील इन कर्मचारियों की पीड़ा सुनने समय तक नहीं दे रहे हैं। इसके खिलाफ विदर्भ प्रदेश विद्युत विभाग कर्मचारी संगठन नागपुर ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। 

कोर्ट का दरवाजा खटखटाया  
विद्युत विभाग में मजदूर के रूप में लगे कर्मचारियों से लगातार अन्याय हो रहा है। अधिकारी बार-बार नियमों को ताक पर रखकर कर्मचारियों का शोषण कर रहे हैं। इस संबंध में मुख्य अभियंता संदीप पाटील, अधीक्षक हेमंत पाटील, कार्यकारी अभियंता मनीष पाटील से पत्र-व्यवहार कर मिलने का समय मांगा है, लेकिन वे किसी तरह का प्रतिसाद नहीं दे रहे ंहै। इसलिए कर्मचारियों को न्याय के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।  -सुरेश गेडाम, सचिव, विदर्भ प्रदेश विद्युत विभाग कर्मचारी संगठन नागपुर 

लंबी लड़ाई का नतीजा अभी तक सिफर 
पीडब्ल्यूडी के विद्युत विभाग में ऐसे सैकड़ों कर्मचारी हैं, जिन पर बरसों से अन्याय हो रहा है। ये सभी कर्मचारी (मजदूर) पीडब्ल्यूडी विभाग में नियुक्त हुए थे। नियमानुसार 5 साल के अनुभव के बाद इन्हें रूपांतरित अास्थापना (सीआरटी) पर लिया गया। सरकार ने एक परिपत्रक भी निकाला, जिसमें कहा गया था कि काम अनुसार हुद्दा (पद) और काम अनुसार वेतन दिया जाए। इसके बाद कुछ कर्मचारियों को सर्विस रिकार्ड में इन्हें विद्युत सहायक तारतंत्री यानी वर्ग-3 में दर्शाया गया, लेकिन वेतन मजदूरों का ही दिया गया। इसे लेकर संगठन ने सरकार से लंबी लड़ाई लड़ी। जिसके बाद सरकार ने इन्हें दो बार वेतनवृद्धि देने का आदेश दिया। इस अनुसार वर्ष 2000 में 12 साल का वेतन  और वर्ष 2003 में वायरमैन के रूप में वेतनवृद्धि देने का परिपत्रक निकाला गया। लेकिन तत्कालीन कार्यकारी अभियंता ने कर्मचारियों को दी गई वेतनवृद्धि वापस लेते हुए उन्हें दिए गए वेतन की वसूली करने का आदेश दिया। 

पर जवाब नहीं मिला
इसे लेकर संगठन ने अभियंता को पत्र देकर पूछा कि वेतन कटौती क्यों की गई? लेकिन आज तक इस पत्र का जवाब नहीं दिया गया। अब फिर 2000 में 24 वर्ष आश्वासित प्रगति योजना के लाभ की वसूली सेवानिवृत्ति के बाद कटौती की है। विशेष यह कि सेवानिवृत्ति की उम्र 60 वर्ष होने के बावजूद सभी को 58 वर्ष में सेवानिवृत्त किया जा रहा है। सरकार और प्रशासन के बार-बार बदलते इस फैसले कर्मचारी मानसिक रूप से परेशान हैं। इस संबंध में किए जा रहे पत्र-व्यवहार का तक कोई जवाब नहीं मिल रहा हैं।
 

Created On :   22 Feb 2021 8:05 AM GMT

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