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पहले 10 घरों में लगा क्यूआर कोड , आनलाइन निगरानी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में कचरा संकलन, परिवहन की प्रक्रिया में अनियमितता, कई रिहायशी इलाकों में रोजाना कंपनी के वाहनों के नहीं पहुंचने की समस्या से निजात पाने के लिए कचरा संकलन एजेंसी, वाहनों और कर्मचारियों के साथ ही कचरे के विलगीकरण की आॅनलाइन निगरानी का प्रयोग धरमपेठ जोन के 10 घरों में किया गया। नागपुर स्मार्ट एंड सस्टेनेबल सिटी डेवलपमेंट कार्पोरेशन (एनएसएससीडीसीएल) और मनपा के घनकचरा व्यवस्थापन कक्ष के संयुक्त तत्वावधान में 24 जुलाई से 6 अगस्त तक प्रयोग को क्यूआर कोड प्रणाली से पूरा किया गया। निजी कंपनी बगफ्री सोल्यूशन के सहयोग से साकार प्रयोग में स्मार्ट सिटी प्रशासन को शत-प्रतिशत परिणाम मिले हैं। प्रयोग के परिणामों के आधार पर जल्द ही शहर में क्यूआर कोड को कार्यान्वित करने की योजना को अमलीजामा पहनाया जाएगा। शहर के 7 लाख रिहायशी घरों, 1 लाख व्यावसायिक इमारतों पर क्यूआर कोड आधारित प्रणाली लगाने के लिए आर्थिक संसाधनों पर भी प्रस्ताव बनाया जाएगा।
प्रयोग को मिली शत-प्रतिशत सफलता
शहर में कचरा संकलन, परिवहन और व्यवस्थापन को लेकर खासी परेशानी होती है। कचरा संकलन के बाद भांडेवाड़ी के डंपिंग यार्ड में लेकर जाने पर कचरे के साथ मिट्टी को मिलाने के भी आरोप लगते रहे हैं। इस समस्या को देखते हुए स्मार्ट सिटी प्रबंधन और घनकचरा व्यवस्थापन कक्ष ने हाल ही में धरमपेठ जोन में 10 दिनों का हाईटेक क्यूआर कोड आधारित प्रयोग को पूरा किया है। मोबाइल स्कैन, जियो लोकेशन की सहायता से घरों से गीला और सूखा श्रेणी में निकलने वाले कचरे और संकलन वाहनों के पहुंचने की पूरी निगरानी करने का प्रयोग किया गया है। क्यूआर कोड से कचरा वजन संकेतांक (वेट सेंसर) जुड़ा होने से वाहनों में संकलन और डंपिंग यार्ड में व्यवस्थापन तक का स्पष्ट ब्योरा भी मिलता है। निजी कंपनी बगफ्री के माध्यम से किए गए प्रयोग में मनपा को शत-प्रतिशत सफलता मिली है। इसकी रिपोर्ट स्मार्ट सिटी के सीईओ मनोज सूर्यवंशी, मनपा आयुक्त राधाकृष्णन बी. को सौंपी गई है। रिपोर्ट का तकनीकी समूह द्वारा अध्ययन के बाद पूरे शहर में कार्यान्वित करने के लिए प्रस्ताव बनाया जाएगा।
10 घरों का 10 दिन लिया जायजा
क्यूआर कोड से कचरा संकलन प्रक्रिया का प्रायोगिक तौर पर 10 दिनों के लिए संचालन किया गया। धरमपेठ जोन अंतर्गत रविनगर परिसर में मरारटोली और पी एंड टी कालोनी के 10 घरों पर क्यूआर कोड लगाकर कचरा संकलन का जायजा लिया गया। इस अवधि में जुलाई माह में 57.26 किलो सूखा कचरा और 57.78 गीला कचरा निकला है, जबकि अगस्त में 47.71 किलो सूखा कचरा और 50.05 किलो गीला कचरा संकलित किया गया।
ऐसे काम करता है सिस्टम
कचरा संकलन करने वाले कर्मचारी को क्यूआर कोड को अपने मोबाइल फोन से स्कैन करना होता है। इस कोड का डाटा सीधे तौर स्मार्ट सिटी के कमांड और कंट्रोल सेंटर में दर्ज होता है। इस डाटा की बदौलत कचरा संकलन के समय के साथ ही कचरे का विलगीकरण, वजन और अन्य जानकारी आसानी से मिल सकती है। कचरा संकलन की गाड़ी पर मौजूद जियो लोकेशन इंटीग्रेशन सिस्टम से घर पर पहुंचने और कचरा संकलन के बाद निकलने का समय भी दर्ज होता है।
खर्च और बचत का गणित
शहर की 8 लाख इमारतों में क्यूआर कोड व्यवस्था के लिए करीब 50 करोड़ रुपए खर्च का अनुमान है। इस प्रक्रिया में क्यूआर कोड स्टिकर, वेट सेंसर, जियोब टैग और कर्मचारियों को मोबाइल फोन की सुविधा में खर्च होगा। एप के लिंक और 24 घंटों की निगरानी व्यवस्था में भी खर्च होगा। हाईटेक व्यवस्था से मनपा का मनुष्यबल, संसाधन, निगरानी खर्च और कचरा संकलन में लापरवाही और डंपिंग यार्ड में व्यवस्थापन और टीपिंग में गड़बड़ी पर रोकथाम संभव हो सकेगी।
700 ब्लैक स्पॉट पर प्रयोग का प्रस्ताव
अब स्मार्ट सिटी प्रबंधन 700 ब्लैक स्पॉट पर भी निगरानी की व्यवस्था का प्रयोग करने का प्रस्ताव बना रहा है। अनेक प्रमुख मार्गों और इलाकों में कचरा सड़क किनारे फेंकने से गंदगी होती है, इन इलाकों को ब्लैक स्पॉट के रूप में माना जाता है। इन स्पाॅट पर सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से कचरा फेंकने वाले की छवि को 5-5 सेकंड के कई हिस्सों में कैमरा कैद कर स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम में भेजेगा। इस रिकार्डिंग के आधार पर ई-चालान को नागरिक को भेजा जाएगा।
टैक्स संकलन पर भी जोर
शहर में कचरा संकलन, परिवहन और व्यवस्थापन की पूरी प्रक्रिया को हाईटेक निगरानी के लिए प्रयोग किया गया है। 10 दिनों के 10 घरों के प्रयोग में शम-प्रतिशत सफलता मिली है। क्यूआर कोड प्रणाली में नागरिकों के आधार कार्ड को लिंक करने पर टैक्स निर्धारण और संकलन में भी सुविधा होने की संभावना बन गई है। इसके साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी करने वालों पर निगरानी के प्रयोग को भी साकार करने का प्रयास किया जाएगा, ताकि शहर को स्वच्छ बनाने में सुविधा हो सके।
-शील घुले, महाप्रबंधक(तकनीकी) एनएसएससीडीसीएल, नागपुर
पहले सराहा, अब फिर परेशान
इलाके में कचरा संकलन के लिए क्यूआर कोड की व्यवस्था बेहतर थी। 10 दिनों तक नियमित रूप से निर्धारित समय पर वाहन कचरा संकलन करते रहे हैं, लेकिन प्रयोग के समाप्त होने के बाद अब फिर से व्यवस्था खराब हो गई है। -रवींद्र देवगड़े, तेलंगखेड़ी, नागपुर
अब व्यवस्था संभल रही है
क्यूआर कोड से कचरा संकलन में सुव्यवस्था होने से अब वाहनों को भी नियमों का पालन करना पड़ रहा है। नियमित रूप से वाहन आ रहे हैं। पहले वाहनों का कोई समय नहीं होता था। -हासानंद गोपलानी, तेलंगखेड़ी, नागपुर
कचरा संकलन एजेंसियों को मोहलत पर मोहलत
कचरा संकलन एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर नगरसेवकों ने आक्रोश जताने पर जांच समिति गठित की गई। सत्तापक्ष नेता अविनाश ठाकरे को समिति का अध्यक्ष बनाया गया। नगरसेवकों ने कचरा संकलन एजेंसियों पर लगाए आरोपों पर समिति ने एजेंसी के प्रमुखों से स्पष्टीकरण मांगा गया। पहले 15 अगस्त तक समय दिया गया। इस कालावधि में स्पष्टीकरण नहीं मिलने पर 30 अगस्त तक राहत दी गई। इसके बावजूद दोनों एजेंसियों ने जवाब नहीं दिया। अब 16 सितंबर तक समय बढ़ाया गया है। मोहलत पर मोहलत दिए जाने से जांच अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचने में विलंब हो रहा है।
जोन स्तर से जांच की शुरुआत
समिति ने जांच की शुरुआत जोन स्तर से की। पहले जोन सहायक आयुक्त और जोनल अधिकारियों से कचरा संकलन एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर रिपोर्ट मांगी गई। उनकी रिपोर्ट परस्पर विरोधाभासी आने पर जांच का दायरा बढ़ाया गया। जोन सभापति और सभी नगरसेवकों की शिकायतों पर सुनवाई हुई। उन्हें प्रश्नों की सूची दी गई। प्रभाग में कितने कचरा संकलन वाहन हैं। कचरा संकलन नियमित हो रहा है या नहीं। यदि नहीं उठाया जा रहा है, तो कितने दिन में उठाया जाता है। सूखा-गीला कचरा संकलन की स्थिति आदि प्रश्नों का समावेश रहा।
अधिकारी, नगरसेवकों के बयान दर्ज
सूत्रों ने बताया कि सभी नगरसेवकों ने लिखित जवाब में कचरा संकलन एजेंसियों पर रोष व्यक्त किया है। समिति ने उनके मौखिक जवाब भी दर्ज किए हैं। कुछ नगरसेवकों ने कचरे का वजन बढ़ाने के लिए ट्रक में मिट्टी मिलाकर मनपा को चूना लगाने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने वीडियो रिकार्डिंग सबूत के तौर पर समिति के समक्ष पेश किए हैं। कर्मचारी भर्ती में आर्थिक भ्रष्टाचार के भी आरोप लगाए गए हैं।
Created On :   2 Sept 2021 2:58 PM IST