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अवैध उत्खनन, विधानसभा में सवाल आया तब सक्रिय हुआ अमला, 4 सदस्यीय टीम ने किया निरीक्षण

डिजिटल डेस्क सतना। विधानसभा के बजट सत्र में रघुराजनगर तहसील के रामस्थान की बहुचर्चित खदान पर अवैध उत्खनन,गैरकानूनी परिवहन और अमीरे कोल समेत कई आदिवासियों के नाम आवंटित जमीनों को नामांतरित कराने के सवालों पर नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल की चौतरफा घेराबंदी का असर यहां गुरुवार की दोपहर उस वक्त दिखा जब रामस्थान स्थित श्रवण पाठक की खदान में एकबारगी पहुंची अफसरों की 4 सदस्यीय टीम ने मौके पर पूछपरख शुरु कर दी। कहते हैं,कथित राजनैतिक दबाब को ठेंगा दिखाते हुए जांच के लिए छापामार शैली में पहुंची इस साझा टीम में एसडीएम बलवीर रमन के साथ आरटीओ संजय श्रीवास्तव, जिला खनिज अधिकारी पीपीराय और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी डा.एके श्रीवास्तव शामिल थे। जांच दल तकरीबन ढाई घंटे रहा।
ईटीपी: ले गए 2 दिन का रिकार्ड- हर ट्रक ओवरलोड
जांच टीम में शामिल एक जिम्मेदार अधिकारी के मुताबिक खदान के इलेक्ट्रानिक कांटे में दर्ज परिवहन आधारित ईटीपी के 2 दिन के रिकार्ड का ब्यौरा लिया गया है। उन्होंनेे माना कि मौके पर 16 टन पास हर ट्रक में 26 टन की लोडिंग के ओवर लोड सामने आए। परिवहन का ठेका एआरटी के पास है। बताया गया है कि जांच दल में शामिल 4 अलग-अलग विभाग अपनी अपनी आधिकारिता के मामलों की जांच करेंगे। मसलन-राजस्व विभाग इन आरोपों की पड़ताल करेगा कि उत्खनन स्वीकृत खदान क्षेत्र के अंदर है या बाहरी क्षेत्र को भी खोदा गया है? राजस्व अधिकारी दलितों की भूमि के नामांतरण की वैधानिकता की भी पड़ताल करेंगे। इसी प्रकार खनिज विभाग जहां उत्खनन और अवैध उत्खनन की जांच करेगा,वहीं ओवरलोडिंग की स्थितियों को आरटीओ जांचेंगे। इसी बीच प्रदूषण के प्रभावों और पर्यावरणीय संरक्षण के उपायों की पड़ताल का जिम्मा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के हवाले है। दावे के मुताबिक जांच रिपोर्ट जल्दी ही कलेक्टर मुकेश शुक्ला को सौंप दी जाएगी।
7 वर्ष बाद ऐसी सक्रियता
जानकारों के मुताबिक रामस्थान में श्रवण पाठक के नाम पर स्वीकृत लाइम स्टोन की 80 एकड़ लीज के विरुद्ध 20 एकड़ पर अवैध उत्खनन, 10 वर्षों से निरंतर अंधाधुंध ओवर लोडिंग और अमीरे कोल समेत दलितों को आवंटित जमीनों को स्वयं के नाम पर नियमों के खिलाफ नामांतरित कराते हुए खदान खोलने की गंभीर शिकायतों के मद्देनजर वर्ष 2011 की 26 नवंबर को तब के कलेक्टर सुखवीर सिंह ने रघुराजनगर के एसडीएम को मौके पर भेजकर जांच रिपोर्ट तलब की थी। प्रतिवेदन के आधार पर तब पिट पास जब्त करते हुए कलेक्टर ने खदान की संक्रियाएं बंद करने के निर्देश दिए गए थे। आरोप हैं कि कालांतर में सियासी रसूख और जुगाड़ टेक्नालॉजी के चलते बात आई-गई हो गई। अब इसी मसले पर विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस की कड़ी घेराबंदी की आशंका के मददेनजर सरकारी कवायद सरगर्म हो गई है। अब देखना ये है कि आखिर जवाब क्या जाते हैं?
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Created On :   16 Feb 2018 1:40 PM IST