कोरोना के चलते जमानत-पेरोल के लिए पात्र कैदियों पर जल्द लें फैसला 

Quickly decide on prisoners eligible for bail-parole due to Corona
कोरोना के चलते जमानत-पेरोल के लिए पात्र कैदियों पर जल्द लें फैसला 
कोरोना के चलते जमानत-पेरोल के लिए पात्र कैदियों पर जल्द लें फैसला 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि कोरोना के प्रकोप के मद्देनजर जेल से जिन कैदियों को रिहाई के लिए पात्र पाया गया है, उन्हें जमानत अथवा पैरोल पर छोड़ने की प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया जाए। इससे पहले सरकारी वकील दीपक ठाकरे ने न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी के सामने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार राज्य सरकार ने ऐसे कैदियों को अंशकालिक जमानत पर अथवा पैरोल पर छोड़ने का निर्णय लिया है। जिन्हें ऐसे अपराध में दोषी पाया गया है जिसमें सात साल की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा इस तरह के अपराध के विचाराधीन कैदियों को भी छोड़ा जा रहा है। 

राज्य सरकार की ओर से करीब 11 हजार कैदियों को छोड़ने का निर्णय लिया गया है। इसमें से अब तक 4060 कैदियों को 45 दिन की अंशकालिक जमानत अथवा आपात पैरोल पर छोड़ा जा चुका है। शेष कैदियों को भी रिहा करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे है। अब तक राज्य की किसी भी जेल में कोई भी कोरोना संक्रमित मरीज नहीं मिला है। इस बात को जानने के बाद न्यायमूर्ति कुलकर्णी ने सरकार को कैदियों को रिहा करने की प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने को कहा है। जिससे सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन किया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों कोरोना के प्रकोप को देखते हुए सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को कैदियों को रिहा करने के निर्देश दिया था। इसके तहत राज्य सरकार ने उच्चाधिकार कमेटी गठित की है। कमेटी के निर्देश के तहत राज्य सरकार ने सिर्फ उन्हीं कैदियों को रिहा किया है जिन्हें भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत दोषी पाया गया है अथवा उनके खिलाफ दंड संहिता की धाराओं के अंतर्गत मुकदमा चलाया जा रहा है। अधिवक्ता सतीश तलेकर ने इस पर आपत्ति जताते हुए हाईकोर्ट को एक निवेदन भेजा था। जिसका हाईकोर्ट ने स्वयं संज्ञान लेते हुए याचिका में परिवर्तित किया है। 

सुनवाई के दौरान श्री तलेकर ने कहा कि उच्चाधिकार कमेटी भारतीय दंड संहिता व दूसरे विशेष कानून जैसे महाराष्ट्र संगठित अपराध कानून (मकोका), एमपीआईडी, पीएमएलए व एनडीपीएस कानून में भेदभाव नहीं कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में इसका प्रावधान नहीं किया गया है। कमेटी को विशेष कानून के तहत दोषी पाए गए कैदियों के बारे में भी विचार करने के लिए कहा जाए। उन्होंने ने कहा कि मैंने इस संबंध में कमेटी को एक निवेदन भी दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने अब तक 11 हजार कैदियों को रिहा नहीं किया है। जबकि गृहमंत्री ने इतने कैदियों को रिहा करने की बात कही थी। इसलिए सरकार को इस बारे में भी उचित कदम उठाने के लिए कहा जाए। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि सरकार 11 हजार में से शेष कैदियों को रिहा करने की प्रक्रिया में तेजी लाए और उच्चाधिकार कमेटी श्री तलेकर की ओर से भेजे गए निवेदन पर भी विचार करे। यह कहते हुए न्यायमूर्ति ने मामले की सुनवाई  30 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी। 

 

Created On :   24 April 2020 5:09 PM IST

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