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एक हजार से साढ़े चार हजार हो गया रेलवे सीजन टिकट का किराया

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने मुंबई से नाशिक और मुंबई से पुणे के बीच चलनेवाली इंटरसिटी ट्रेन को स्पेशल ट्रेन की बजाय नियमित ट्रेन के तौर पर चलाने व वरिष्ठ नागरिकों-दिव्यांगों को टिकट तथा सीजन पास में दी जानेवाली रियायत को बहाल करने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर रेलवे व राज्य सरकार से जवाब मांगा है। जनहित याचिका में दावा किया गया है कि लॉकडाउन के चलते रियायत बंद करने से एक हजार रुपये वाले मासिक पास के लिए यात्रियों को साढ़े चार हजार रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। इस विषय पर मध्य रेलवे के यात्री संगठन रेल परिषद ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है।
याचिका में कहा गया है कि कोरोना की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है। राज्य सरकार ने बड़े पैमाने पर लॉकडाउन से जुड़ी पाबंदियों को शिथिल कर दिया है। इसलिए अब इंटरसिटी ट्रेन को विशेष शुल्क पर चलाने की बजाय नियमित ट्रेन के तौर पर चलाया जाए। क्योंकि इन ट्रेनों के न चलने से आम लोगों को परेशानी हो रही है। याचिका में सीजन टिकट (मासिक पास) के बढे बेतहाशा किराए के मुद्दे को भी उठाया गया है। न्यायमूर्ति एए सैय्यद व न्यायमूर्ति एसजी दिघे की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ए.क्रिपेकर ने खंडपीठ को बताया कि पहले सेंकड क्लास का सीजन टिकट का मासिक किराया एक हजार रुपए से कम था। जो अब बढ कर साढे चार हजार रुपए के करीब पहुंच गया है।
इसी तरह प्रथम श्रेणी के सीजन टिकट के किराए में भारी बढोतरी हुई है। जिसके चलते मध्यवर्गीय यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है। इसलिए याचिका में आग्रह किया गया है कि रेलवे को वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों को टिकट व मासिक पास में मिलनेवाली रियायत को दोबारा शुरु करने का निर्देश दिया जाए। इसके साथ ही इंटरसिटी ट्रेन में महिलाओं के लिए विशेष कोच की सुविधा को फिर से बहाल किया जाए। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने रेलवे व राज्य सरकार के संबंधित विभाग को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया और याचिका पर सुनवाई 25 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी।
Created On :   23 Oct 2021 6:36 PM IST