राज ठाकरे की मुश्किलें बढ़ीं , बीड की अदालत ने जारी किया नॉन बेलेबल वारंट

Raj Thackerays troubles increased, Beed court issued non bailable warrant
राज ठाकरे की मुश्किलें बढ़ीं , बीड की अदालत ने जारी किया नॉन बेलेबल वारंट
बीड राज ठाकरे की मुश्किलें बढ़ीं , बीड की अदालत ने जारी किया नॉन बेलेबल वारंट

डिजिटल डेस्क, बीड। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना अध्यक्ष राज ठाकरे की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं।  बीड स्थित परली की अदालत ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। दरअसल राज ठाकरे ने मराठी साइन बोर्ड के मुद्दे पर आंदोलन किया था। इस मामले में उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया गया है। इस मामले में परली की अदालत ने मुंबई पुलिस  को एक पत्र भेजा था। बावजूद इसके पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर कोई कार्रवाई नहीं की। आखिरकार अदालत में यह नॉन बेलेबल वारंट जारी किया है। ऐसे में मुंबई पुलिस राज ठाकरे के खिलाफ क्या के खिलाफ क्या कार्रवाई करती है। इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई है।  इसके पहले लाउडस्पीकर  के मुद्दे पर मुश्किलों में आए राज ठाकरे अब पुराने मामलों में अदालत में एक बार भी पेश नही होने से  गैर जमानती वारंट का सामना करेंगे।

क्या है मामला
दरअसल साल 2008 में मनसे कार्यकर्ताओं ने बीड के परली इलाके में राज्य परिवहन निगम की बसों पर पथराव किया था। आपको बता दें कि साल 2008 में रेलवे में परप्रांतीय युवाओं की भर्ती मामले में हुई मारपीट के संदर्भ में राज ठाकरे को गिरफ्तार किया गया था। इसी गिरफ्तारी के विरोध में मनसे कार्यकर्ताओं ने राज्य भर में आंदोलन और विरोध प्रदर्शन किया था। इसी विरोध प्रदर्शन के दौरान उन्होंने अंबाजोगाई में मौजूद एसटी बस को भी निशाना बनाया था। इस मामले में दर्ज किए गए मुकदमे में राज ठाकरे से अदालत में पेश होने के लिए कहा गया था। लेकिन राज ठाकरे तब से लेकर अब तक एक बार भी उपस्थित नहीं हुए। जमानत के बावजूद लगातार तारीखों पर गैरहाजिर रहने की वजह से उनके खिलाफ अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी किया है। इसके चलते राज ठाकरे को पुलिस कभी भी गिरफ्तार कर सकती है ।

पहिले से लाउड स्पीकर मामले ने भी बढ़ाई मुश्किलें
बीते कई दिनों से लाउडस्पीकर के मुद्दे की वजह से राज ठाकरे चर्चा में है। इस दौरान औरंगाबाद की रैली के बाद उनके खिलाफ कई मामले भी दर्ज किए गए हैं। मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर के संबंध में उन्होंने आक्रामक भाषण भी दिया है। लाउडस्पीकर आंदोलन और उसके बाद दर्ज मामलों की वजह से उनके ऊपर पहले ही कार्रवाई की तलवार लटक रही है। ऐसे में पुराने मामलों के दोबारा जिंदा हो जाने से उनकी मुश्किलें और भी बढ़ गई है।

Created On :   6 May 2022 10:28 AM GMT

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