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कांग्रेस MLA गजेंद्र सिंह शक्तावत नहीं रहे, 6 महीने में राजस्थान में 4 विधायकों की मौत

डिजिटल डेस्क ( जयपुर)। कांग्रेस विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत का बुधवार सुबह दिल्ली में लीवर की बीमारी के कारण निधन हो गया। वे राजस्थान के चौथे विधायक हैं जिनकी पिछले छह महीने में मृत्यु हो गई। विधानसभा में उदयपुर जिले की वल्लभनगर सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले शक्तावत ने सुबह 5 बजे अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार गुरुवार सुबह 11 बजे राजस्थान में उनके पैतृक गांव भिंडर में होगा।
48 वर्षीय शक्तावत को दिसंबर 2020 में लीवर की बीमारी के इलाज के लिए आईएलबीएस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह इजाल के दौरान कोरोनावायरस पॉजिटिव पाए गए थे, लेकिन बाद में वह ठीक हो गए थे। हालांकि, वह पिछले 37 दिनों से लीवर की बीमारी से जूझ रहे थे।
इस बीच, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पायलट और अन्य नेताओं ने विधायक की मृत्यु पर अपनी संवेदना व्यक्त की। गहलोत ने बुधवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक भी रद्द कर दी। पिछले साल 6 अक्टूबर को भीलवाड़ा की सहाड़ा सीट से कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी की गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में कोरोनावायरस संक्रमण के कारण मौत हो गई थी।
I am deeply saddened by the devastating news of the passing away of my colleague & MLA Shri Gajendra Singh Shaktawat ji. He was a humble and a kind soul, always dedicated towards the development of his constituency. My heartfelt condolences to his family.
— Sachin Pilot (@SachinPilot) January 20, 2021
अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे मास्टर भंवरलाल मेघवाल का इलाज के दौरान गुरुग्राम में निधन हो गया। मेघवाल ने चूरू जिले में सुजानगढ़ सीट से विधायक थे। भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी का पिछले साल नवंबर में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में कोरोनावायरस के चलते निधन हो गया था।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।