राजस्थान के सैंड स्टोन से निखरेगा ‘न्यू एयरपोर्ट मेट्रो स्टेशन’

rajasthan sandstone used in New Airport Metro Station of nagpur
राजस्थान के सैंड स्टोन से निखरेगा ‘न्यू एयरपोर्ट मेट्रो स्टेशन’
राजस्थान के सैंड स्टोन से निखरेगा ‘न्यू एयरपोर्ट मेट्रो स्टेशन’

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर की सुंदरता में चार चांद लगाने वाले मेट्रो प्रोजेक्ट के स्टेशनों को बेहद खूबसूरत बनाने की भी तैयारी है। मेट्रो स्टेशनों के लिए खासतौर पर राजस्थान के सैंड-स्टोन मंगवाए गए हैं। मेट्रो  प्रोजेक्ट के  न्यू एयरपोर्ट स्टेशन को बनाने के लिए उपयोग में लाई जानेवाली सामग्रियां अपने आप में अनूठी और पारंपरिक हैं। राजस्थान के सैंड-स्टोन का यहां इस्तेमाल हो रहा है।

कुुतुबमीनार से लेकर इंडिया गेट का हुआ है निर्माण
उल्लेखनीय है कि कुतुबमीनार से लेकर इंडिया गेट तक का निर्माण इसी सैंड स्टोन से हुआ है। राजस्थान के धौलपुर से सैंड-स्टोन नागपुर तक लाना अत्यन्त जटिल था। फिर भी 2 दिन के बजाए 4 दिन में माल सुरक्षित नागपुर पहुंचा। मेट्रो के मुख्य प्रकल्प प्रबंधक एच.पी. त्रिपाठी के अनुसार, सैंड-स्टोन का रंग नैसर्गिक होने से इस पर मौसम का कोई असर नहीं होता। इससे निर्मित मेट्रो स्टेशनों की इमारतों के रख-रखाव पर बाद में खर्च कम होगा। कारीगर मुकेश कुमरे ने बताया कि सैंड स्टोन पर काम बहुत बारीकी और सावधानी पूर्वक किया जाता है। दूसरे कारीगर महेंद्र सिंह के अनुसार इस कार्य में उनकी दूसरी पीढ़ी कार्य कर रही है। परंपरागत कला और सैंड-स्टोन की सुंदरता मेट्रो स्टेशनों की छटा में चार चांद लगा देगा।

हर स्टेशन पर खर्च होंगे 50 करोड़ से अधिक रुपए
उल्लेखनीय है कि मेट्रो में वैसे तो कुल  40 स्टेशन बन रहे हैं एक स्टेशन पर 50 करोड़ खर्च हर स्टेशन के निर्माण पर लगभग 50 करोड़ रुपए का खर्च आने का अनुमान है। अतिरिक्त निधि को मेट्रो बचत से पूरा करने के प्रयास हैं। एटग्रेट सेक्शन (जमीन पर चलनेवाले मेट्रो का हिस्सा) की लंबाई करीब 3 किमी और बढ़ेगी, जिससे प्रोजेक्ट के कुल रूट की लंबाई 38.5 से बढ़कर 41.5 किमी हो जाएगी। 

मेट्रो सिटी प्रोजेक्ट में बनेंगे 5 हजार से अधिक मकान
मेट्रो सिटी स्टेशन के पास मेट्रो सिटी प्रोजेक्ट साकार होगा। इसमें करीब 5 हजार से अधिक मकान होंगे। इन्हें नागरिकों को बेचकर अतिरिक्त नॉन फेयर बॉक्स रेवेन्यू इकट्ठा की जाएगी। मेट्रो सिटी और इको पार्क स्टेशन से एम्स, आईआईएम, इंडस्ट्रियल जोन, एयरो स्पेस परियोजना आदि के लिए पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करेगा। दोनों स्टेशनों के लिए 25-25 हेक्टेयर जमीन लगेगी। 

Created On :   20 March 2018 4:50 PM IST

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