अगर बंटवारे के वक्त बरती जाती सावधानी तो भारत में होता करतारपुर साहिब-रक्षामंत्री राजनाथ सिंह

शाइनिंग सिख यूथ ऑफ इंडिया अगर बंटवारे के वक्त बरती जाती सावधानी तो भारत में होता करतारपुर साहिब-रक्षामंत्री राजनाथ सिंह

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आज (शुक्रवार) "शाइनिंग सिख यूथ ऑफ इंडिया" नामक किताब के लॉन्चिंग कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, बंटवारे के समय कुछ सावधानियां बरते गये होते तो करतारपुर साहिब पाकिस्तान में नहीं भारत में होता। बंटवारे के वक्त सिख समुदाय को बहुत नुकसान हुआ। स्वतंत्रता संग्राम में सिख समुदाय का बड़ा योगदान था। उन्होंने आगे कहा कि जब हमें आजादी मिली और विभाजन की त्रासदी का सामना करना पड़ा, तो सिखों ने बहुत दर्द झेला।

राजनाथ सिंह ने कहा, सिख समाज का इतिहास बहुत ही गौरवशाली है। इतिहास के पन्नों को पलटकर देखना और नौजवानों को बताना चाहिए कि सिख समाज ने कितनी कुर्बानियां दी है और उनका इतिहास कितना गौरवशाली है। सबने बनाई और सबसे भलाई में विश्वास करने का संदेश यदि किसी ने दिया है तो गुरू नानक देव जी  ने दिया है। उन्होंने कहा, सिक्ख समाज जहां प्रेम और सौहार्द का सजीव उदाहरण है, वहीं जब भी जरूरत पड़ती है तो सिक्ख समाज अत्याचार और अन्याय के खिलाफ भी उठ खड़ा होता है। मैं मानता हूं कि राष्ट्र के निर्माण में सिक्ख समाज की बहुत बड़ी भूमिका है और उस भूमिका को वर्तमान में और आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।

राजनाथ सिंह ने कहा, आज हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का जन्मदिन है। हमारी सरकार में जो भी लोग हैं उनके मन में सिख गुरुओं  के प्रति कितनी असीम श्रद्धा है, इसका प्रमाण देने की आवश्यकता नही है। प्रधानमंत्री जी हमेशा कहते हैं कि सिख समाज के योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता।

बता दें कि यह गुरुद्वारा पाकिस्तान के नारवाल जिले में है और यह भारत की सीमा से सिर्फ तीन किलोमीटर की दूरी पर ही है। लाहौर से इसकी दूरी तकरीबन 120 किलोमीटर की है। पहले भारत के श्रद्धालु करतारपुर साहिब गुरुद्वारे का दर्शन दूरबीन से करते थे, जिसे भारत और पाकिस्तान की सरकार ने मिलकर कॉरिडोर बनवा दिया था। करतारपुर साहिब गुरुद्वारा सिखों का एक धार्मिक स्थल है, जोकि पाकिस्तान में स्थित है। इसी गुरुद्वारे में गुरु नानक देव ने अपनी जिंदगी के आखिरी साल बिताए थे। यहां पर उन्होंने तकरीबन 16 साल तक जीवन व्यतीत किया था। उनके शरीर को त्यागने के बाद इस गुरुद्वारे को बनवाया गया था।


 

 

 

Created On :   17 Sep 2021 3:42 PM GMT

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