पिता-पुत्र विवाद: बेटा-बहू पर प्रताड़ना के आरोप साबित नहीं कर पाए रणजीत देशमुख

Ranjit Deshmukh filed a case in tribunal against his son Dr Amol Deshmukh and daughter-in-law
पिता-पुत्र विवाद: बेटा-बहू पर प्रताड़ना के आरोप साबित नहीं कर पाए रणजीत देशमुख
पिता-पुत्र विवाद: बेटा-बहू पर प्रताड़ना के आरोप साबित नहीं कर पाए रणजीत देशमुख

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अपने पुत्र अमोल देशमुख के खिलाफ मोर्चा संभालने वाले कांग्रेस के पूर्व नेता रणजीत अरविंदबाबू देशमुख को निर्वाह न्यायाधिकरण से झटका लगा है। रणजीत देशमुख ने सिविल लाइंस स्थित घर क्रमांक 206-3 (अ) से जुड़े विवाद में अपने पुत्र डॉ. अमोल देशमुख और बहू डॉ. सुचिता देशमुख के खिलाफ न्यायाधिकरण में मामला दायर किया था, जिसमें उन्होंने पुत्र और बहू पर उन्हें मानसिक प्रताड़ना देने का आरोप लगाया था। 

मामले में फैसला देते हुए न्यायाधिकरण ने स्पष्ट किया कि रणजीत देशमुख ऐसे कोई भी सबूत देने मंेंअसमर्थ रहे, जिससे कि यह पता चल सके कि उन्हें मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है। वहीं सिविल लाइंस का यह घर देशमुख को वर्ष 1970 में काटोल की जमीन के संपादन के बदले मिला था। यह घर देशमुख की पुश्तैनी संपत्ति होने के कारण डॉ. अमोल देशमुख का भी इस पर अधिकार है। न्यायाधिकरण ने अपने आदेश में कहा है कि रणजीत देशमुख और उनके पुत्र डॉ. अमोल देशमुख समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं। दोनों को अापस में यह विवाद सुलझा कर समाज के सामने आदर्श स्थापित करना चाहिए। न्यायाधिकरण अध्यक्ष उपविभागीय दंडाधिकारी शिरिश पांडे ने यह निर्णय दिया है।

यह थे रणजीत देशमुख के आरोप 
रणजीत देशमुख के अनुसार उनके छोटे बेटे डॉ. अमोल देशमुख को उन्होंने राजनगर और अभ्यंकर नगर में घर लेकर दिया है। वे दोनों राजनगर में रह रहे थे और अचानक एक दिन सिविल लाइंस स्थित घर में लौट आए। वे दोनों उन्हें मानसिक प्रताड़ना दे रहे हैं। दोनों ने उन्हें घर से निकाल दिया और अब वे अपने बड़े बेटे आशीष देशमुख के घर पर रह रहे हैं। इसके अलावा रणजीत देशमुख ने अपनी अर्जी में पुत्र अमोल पर लता मंगेशकर चिकित्सा महाविद्यालय के व्यवस्थापन मंडल मंे गड़बड़ी का भी आरोप लगाया था। इन सभी बातों के चलते डॉ. अमोल देशमुख और उनकी पत्नी को सिविल लाइंस स्थित घर से निकल जाने के आदेश जारी करने की विनती अर्जी में रणजीत देशमुख ने की थी। जिसपर न्यायाधिकरण ने यह आदेश जारी किया है। अपने आदेश मंे न्यायाधिकरण ने यह भी स्पष्ट किया है कि डॉ. अमोल देशमुख ने पेशे से चिकित्सक होने के कारण अपने बीमार पिता की वक्त-वक्त पर  ठीक से चिकित्सा भी कराई। उन्होंने रणजीत देशमुख को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया इसके कोई सबूत नहीं हैं।

Created On :   13 Oct 2018 2:06 PM IST

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