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सिर्फ जबरन संबंध बनाना ही नहीं होता दुष्कर्म: हाईकोर्ट
डिजिटल डेस्क, मुंबई। दुष्कर्म का अर्थ सिर्फ जबरन संबंध बनाना नहीं है, पीड़िता के संदर्भ में इसका मतलब सबकुछ तबाह होने जैसा है। यह टिप्पणी करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने से आधी उम्र की नाबालिग लड़की से दुष्कर्म करने वाले 34 वर्षीय आरोपी को जमानत देने से इंकार कर दिया है। न्यायमूर्ति भारती डागरे ने मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद पाया कि 17 वर्षीय पीड़िता कक्षा 11वी में पढ़ाई कर रही है जबकि आरोपी उसके पिता के साथ कारोबार में साझीदार है।
अपनी पारिवारिक परेशानी साझा करने के नाम पर आरोपी पीड़िता को फार्महाउस पर ले गया। जहां उसने पीड़िता से कहा कि यदि वह संबंध बनाने को राजी नहीं होगी तो वह आत्महत्या कर लेगा। इसके साथ ही उसके इंकार का विपरीत असर पिता के कारोबार पर पड़ेगा। आरोपी ने ऐसा कह कर दो बार कर पीड़िता के साथ संबंध बनाए। सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील ने दावा किया कि आरोपी व पीड़िता के बीच प्रेम संबंध थे। दोनों के संबंध सहमति से बने हैं। कारोबार में फायदे के लिए पीड़िता के परिवारवालों ने यह शिकायत दर्ज कराई है। जबकि सरकारी वकील व पीड़िता के वकील ने इसका खंडन किया।
पीड़िता की शिकायत पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने पाया कि शुरुआत में फोन पर पीड़िता ने आरोपी से नही मिलने की इच्छा जताई थी। फिर भी आरोपी ने उसे बुलाया। आरोपी एक विवाहित परिपक्व व्यक्ति है उसके दो बच्चे हैं। जहां तक बात सहमति की है तो कानून नाबालिग की सहमति को मान्यता नहीं देता। न्यायमूर्ति ने कहा कि दुष्कर्म का मतलब सिर्फ शारिरिक संबंध बनाना नहीं है। इसका अर्थ सबकुछ तबाह होने जैसा है। आरोपी पर गंभीर आरोप हैं। लिहाजा आरोपी के जमानत आवेदन को खारिज किया जाता है। इससे पहले निचली अदालत ने भी आरोपी को जमानत देने से इंकार कर दिया था।
Created On :   12 Sep 2020 10:58 AM GMT