नैक मूल्यांकन में यूनिवर्सिटी के समक्ष रोड़ा बन सकता है पदभर्ती

Recruitment  can become the problem for the university in NAC evaluation
नैक मूल्यांकन में यूनिवर्सिटी के समक्ष रोड़ा बन सकता है पदभर्ती
नैक मूल्यांकन में यूनिवर्सिटी के समक्ष रोड़ा बन सकता है पदभर्ती

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  यूनिवर्सिटी  को इस साल नवंबर में नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रिडेशन काउंसिल की मूल्यांकन प्रक्रिया से गुजरना है। इसमें एकेडमिक्स और इंफ्रास्ट्रक्चर दो मुख्य पहलू होंंगे। यूनिवर्सिटी की एकेडमिक्स की मौजूदा स्थिति देखें तो यूनिवर्सिटी में शिक्षकों और गैर शिक्षक कर्मचारियों के 1 हजार से अधिक पद खाली हैं। नियुक्ति का प्रस्ताव राज्य सरकार के पास अभी भी विचाराधीन है और आगे कुछ महीनों तक पदभर्ती की संभवना भी कम है। ऐसे में नैक के मूल्यांकन में यह पहलू यूनिवर्सिटी के खिलाफ जा सकता है। 

स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ी
प्रस्ताव में यूनिवर्सिटी ने शिक्षा व तकनीकी विभाग से 289 शिक्षक और 767 गैर शिक्षक पदों पर नियुक्ति करने की अनुमति मांगी है। राज्य सरकार द्वारा बीते दिनों शिक्षक और गैर शिक्षक पदभर्ती की घोषणा करने के बाद उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशों पर यूनिवर्सिटी ने यह प्रस्ताव भेजा है। विभाग ने यूनिवर्सिटी से रिक्त पदों में से 30 प्रतिशत पदों को कम कर प्रस्ताव मांगा था। बीते कुछ वर्षों में यूनिवर्सिटी की विद्यार्थी संख्या बढ़ गई है। बढ़ी हुई संख्या के अनुरूप यूनिवर्सिटी को ज्यादा शिक्षकों और कर्मचारियों की जरूरत है। ऐसे में यूनिवर्सिटी ने इस प्रस्ताव में 129 शिक्षक और 283 गैर शिक्षक कर्मचारियों के अतिरिक्त पदों को जोड़ कर विभाग को भेजा है। 

और करना होगा इंतजार
यूनिवर्सिटी के अधिकारियों की मानें, तो नियमानुसार यूनिवर्सिटी से यह प्रस्ताव प्राप्त होने के बाद राज्य सरकार इसे मंजूरी देगी। इसके बाद जीआर निकलेगा। इसके बाद विज्ञापन निकाल कर आवेदन मंगाए जाएंगे, फिर परीक्षा या स्क्रूटनी के बाद साक्षात्कार और फिर उम्मीदवारों का चयन होगा। यह प्रक्रिया खासी लंबी है। इसमें कम से कम एक साल का समय लगेगा, लेकिन आने वाले समय में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हैं। ऐसे में आचार संहिता में पदभर्ती प्रक्रिया रोक दी जाएगी। उसके बाद क्या होगा, यह स्पष्ट नहीं है। यूनिवर्सिटी अधिकारियों का आंकलन है कि कुछ दिनों पूर्व भेजा गया प्रस्ताव मंत्रालय से लौटा दिए जाएगा, क्योंकि उसमंे विवि ने  मराठा आरक्षण के मुद्दों पर विचार नहीं किया था। ऐसे में पूर्ण संभावना है कि उच्च शिक्षा विभाग इस प्रस्ताव को फिर विवि को भेज कर इसमें संशोधन करने के लिए कहेगा। ऐसे में स्पष्ट है कि नैक के मूल्यांकन के पूर्व पदभर्ती पूर्ण करना यूनिवर्सिटी के लिए टेढ़ी खीर है। 

Created On :   7 Jan 2019 5:34 AM GMT

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