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शिक्षा विभाग में खाली पड़े पद फिर भी शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने की कवायद

डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रगत शैक्षणिक महाराष्ट्र अभियान के तहत प्रदेश में शिक्षा का स्तर सुधारने का दावा तब ढीला पड़ता नजर आता है, जब सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के एक बड़े वर्ग को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा भी नसीब नहीं हो पाती। दरअसल राज्य में बीते कई दिनों से ठंडे बस्ते में पड़ी पदभर्ती का असर सीधे शिक्षा व्यवस्था पर पड़ता दिखाई दे रहा है। जिला परिषद स्कूल में मुख्याध्यापक से लेकर केंद्र प्रमुख और समूह-शिक्षाधिकारियों के अनेक पद रिक्त पड़े हैं। इस ओर बार-बार संबंधित विभाग का ध्यान आकर्षित किया जा रहा है बावजूद इसके कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
केंद्र प्रमुखों के पद 9 साल से खाली
आश्चर्य है कि राज्य सरकार को शिक्षा विभाग में जिम्मेदारी संभाल रहे इन पदों पर नियुक्ति करने की कोई जल्दबाजी नहीं है। केंद्र प्रमुखों के पद 9 साल से नहीं भरे गए हैं।
मुख्याध्यापकों की 5 साल से नियुक्ति नहीं
मुख्याध्यापकों की पांच वर्षों से नियुक्तियां नहीं हुई। ऐसे में समूह शिक्षाधिकारियों के अतिरिक्त प्रभार विस्तार अधिकारियों को सौंप कर काम चलाया जा रहा है।
एक केंद्र प्रमुख के पास 3 केंद्रों की जिम्मेदारी
एक केंद्रप्रमुख कें पास तीन केंद्रों की जिम्मेदारी है। समूह शिक्षाधिकारी के पद छोड़ दें तो शेष सभी पदों पर नियुक्तियां करने के अधिकार जिला परिषद के पास है। लेकिन इसके बावजूद नियुक्तियां नहीं हो रही। शिक्षक संगठन काफी दिनों से नियुक्तियां करने की मांग कर रहे है।
यह तो सीधे आरटीई नियमों का उल्लंघन है
शिक्षकों के अनुसार रिक्त पद सीधे सीधे आरटीई नियमों का उल्लंघन है। शिक्षा व्यवस्था रिक्त पदों के सहारे नहीं चल सकती। सरकार को जल्द से जल्द नियुक्तियां करनी चाहिए।
पद मंजूर, पर भरने की सुध नहीं
- समूह-शिक्षाधिकारियों के 13 पद मंजूर, 8 खाली
- केंद्र प्रमुखों के 136 पद मंजूर, 75 से अधिक खाली
- मुख्याध्यापकों के 93 मंजूर पद, 50 से अधिक रिक्त
- उपशिक्षाधिकारियों के भी 2 पद खाली हैं।
Created On :   29 Oct 2018 4:23 PM IST