रेडडॉट अभियान : ग्रामीण इलाके की लड़कियों-महिलाओं में पीरियड्स को लेकर जागरुकता की पहल

red dot campaign: A social initiative to aware village girls
रेडडॉट अभियान : ग्रामीण इलाके की लड़कियों-महिलाओं में पीरियड्स को लेकर जागरुकता की पहल
रेडडॉट अभियान : ग्रामीण इलाके की लड़कियों-महिलाओं में पीरियड्स को लेकर जागरुकता की पहल

डिजिटल डेस्क, मुंबई। माहवारी के दौरान साफ सफाई को लेकर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों की महिलाओं में अब भी ज्यादा जागरूकता नहीं है। इसके चलते बड़ी संख्या में लड़कियां और महिलाएं बीमारियों का शिकार हो जातीं हैं। अपने रेड डॉट अभियान के तहत महाराष्ट्र विलेज सोशल ट्रांसफॉर्मेशन फाउंडेशन (एमवीएसटीएफ) नामक संगठन इस हालात को बदलने की कोशिश कर रहा है।

इस काम में संगठन को यूनिसेफ और महाराष्ट्र सरकार से भी सहयोग मिल रहा है। पिछले एक महीने में संगठन के कार्यकर्ताओं ने राज्य के 20 जिलों के 150 गांवों में महिलाओं और स्कूली छात्राओं को माहवारी के दौरान साफ सफाई को लेकर जागरूक किया।
अभियान के दौरान संस्था से जुड़े लोगों ने साढ़े सात हजार से ज्यादा लोगों से संपर्क किया और उनसे बातचीत की। इनमें 93 फीसदी महिलाएं और 8 फीसदी पुरुष थे।

एमवीएसटीएफ कार्यकर्ताओं ने लोगों से बातचीत में पाया कि माहवारी को लेकर महिलाएं और लड़कियां हीनभावना से ग्रस्त होतीं हैं। इसे लेकर कई भ्रांतियां हैं, जिसे अब तक तोड़ा नहीं जा सका है। एमवीएसटीएफ ने विभिन्न इलाकों में रेड डॉट चैलेंज अभियान चलाया। महिला कार्यकर्ताओं को स्कूलों में पढ़ने वाली लड़कियों और गांवों की महिलाओं को माहवारी को लेकर जागरूक करने की जिम्मेदारी दी जाती है, जबकि पुरुष कार्यकर्ता माहवारी को लेकर पुरुषों से बातचीत कर उनके मन में बैठी भ्रांतियां दूर करने का प्रयास करते हैं।

अभियान 25 मई से 30 जून तक चलाया गया, जिसमें साफ-सफाई को लेकर एक रिपोर्ट भी तैयार की गई है, जिसे मुंबई में यूनिसेफ इंडिया की राष्ट्रीय प्रतिनिधि डॉ. यास्मीन अली और एमवीएसटीएफ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामनाथ सुब्रमण्यम की मौजूदगी में लांच किया गया। अधिकारियों ने बताया कि माहवारी को लेकर जागरुकता अभियान मुख्यमंत्री के 1000 गांवों में सामाजिक बदलाव के प्रयासों का हिस्सा है।

 

 

 

 

Created On :   30 Jun 2019 4:20 PM GMT

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