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ट्रेडमार्क से जुड़े विवाद को निपटाने में प्रसांगिक घटक

डिजिटल डेस्क, मुंबई। दो ब्रांडो के उत्पादों नाम में ध्वन्यात्मक अथवा उच्चारण से जुड़ी समानता ट्रेडमार्क से जुड़े उल्लंघन से संबंधित विवाद को निपटाने में प्रसांगिक घटक है। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में इस बात को स्पष्ट किया है। न्यायमूर्ति नितीन जामदार व न्यायमूर्ति सीवी भडंग की खंडपीठ ने कहा कि ऐसे मामले से जुड़े विवाद में उत्पाद की समानता का निर्धारण इस बात पर तय होगा कि एक आम उपभोक्ता उत्पाद के ब्रांड नाम का उच्चारण कैसे करता है और उसे सुननेवाला व्यक्ति कैसे समझता है।
मामला मेहर डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेट व आर.के लिमिटेड के बीच एक नशीले पेय के उत्पाद के नाम से जुड़े ट्रेडमार्क से संबंधित है। मेहर ने अपने पेय का दि अस्व रखा था जबकि आरके ने अपने पेय का नाम असावा रखा था। मेहर ने दावा किया था कि पहले उसने इस नाम के चिन्ह का पंजीयन कराया था। और वह इसे बेच भी रहा है। जबकि आरके भी अपने उत्पाद को अपने नाम से बेच रहा था। इसे देखते हुए मेहर ने ट्रेडमार्क के उल्लंघन को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें मांग की गई थी कि आरके लिमिटेड को उसका ट्रेडमार्क चिन्ह का इस्तेमाल करने से रोका जाए।
एकल न्यायाधीश के सामने आरके लिमिटेड ने अपने ट्रेडमार्क को न्यायसंगत बताया और इस विषय पर दायर किए गए दावे का विरोध किया। और कहा कि दोनों नामों में काफी भिन्नता है। इसके बाद मेहर की ओर से दायर आवेदन को एकल न्यायाधीश ने खारिज कर दिया। इसलिए यह मामला खंडपीठ के सामने पहुंचा। खंडपीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि दो ब्रांडो के उत्पादों नाम में ध्वन्यात्मक समानता ट्रेडमार्क से जुड़े उल्लंघन से संबंधित विवाद को निपटाने में प्रसांगिक घटक है। एकल न्यायाधीश ने इस पहलू पर विचार नहीं किया है।
Created On :   4 Sept 2021 7:55 PM IST