45 साल से अधिक उम्र होने के बावजूद महिला को अनुकंपा नियुक्ति में राहत

Relief in compassionate appointment to women despite being above 45 years of age
45 साल से अधिक उम्र होने के बावजूद महिला को अनुकंपा नियुक्ति में राहत
नौ साल से महिला कर रही थी नौकरी का इंतजार 45 साल से अधिक उम्र होने के बावजूद महिला को अनुकंपा नियुक्ति में राहत

डिजिटल डेस्क,मुंबई । सरकारी नौकरी के लिए निर्धारित की गई 45 साल की उम्र से अधिक होने के बावजूद बांबे हाईकोर्ट ने नौ साल से अनुकंपा नियुक्ति का इंतजार कर रही महिला को राहत प्रदान की है। हाईकोर्ट ने राज्य के शिक्षा विभाग के सचिव व शिक्षा निदेशक को 12 सप्ताह के भीतर महिला की अनुकंपा नियुक्ति के दावे पर विचार कर उचित आदेश जारी करने का निर्देश दिया है।

शिक्षा उपनिदेशक कार्यालय में वरिष्ठ क्लर्क के रुप में कार्यरत महिला के पति सुभाष टोडकर की मौत सेवा के दौरान 30 जून 2011 को हो गई थी। चूंकि महिला के पति अकेले घर में कमानवाले थे। इसलिए पति के निधन के बाद सिर्फ पेंशन के आधार पर घर चलाने व बच्चे के पालन पोषण में महिला को कठिनाई महसूस होने लगी। इसलिए उसने अनुकंपा नियुक्ति के लिए शिक्षा निदेशक के कार्यालय में 15 मार्च 2012 में आवेदन किया। काफी समय बीत जाने के बाद भी जब महिला के आवेदन पर निर्णय नहीं किया गया तो महिला ने इसको लेकर अधिकारियों को स्मरण पत्र भेजा और कहा कि यदि 19 जुलाई 2017 से पहले उसकी अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन पर निर्णय नही लिया गया तो उसकी उम्र 45 साल हो जाएगी और उसे नौकरी के लिए अपात्र मान लिया जाएगा। लेकिन फिर भी इस बारे में निर्णय नहीं लिया गया। इस बीच 1 जनवरी 2018 को राज्य सरकार के शिक्षा विभाग की ओर से पत्र भेजा गया कि चूंकि याचिकाकर्ता की उम्र 45 साल से अधिक हो चुकी है इसलिए सरकार की नीति के तहत वह सरकारी नौकरी के लिए पात्र नहीं है। इससे असंतुष्ट महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। 

न्यायमूर्ति प्रशांत वैराले व न्यायमूर्ति एमएस मोडक की खंडपीठ के सामने महिला की याचिका पर सुनवाई हुई। खंडपीठ ने कहा कि घर में कमानेवाले व्यक्ति के न रहने पर उसके परिवार को संकट की घडी से उबारने के लिए अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान किया गया है। ऐसे में यदि महिला को राहत नहीं दी जाएगी तो अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य बेमतलब हो जाएगा। इस मामले में सरकारी अधिकारियों ने महिला के कागजों को एक डेस्ट से दूसरे डेस्क में भेजा लेकिन उस पर कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया। इस मामले में विलंब सरकार के विभाग की ओर से हुआ है। इसलिए इस मामले को विशेष मामला मानते हुए शिक्षा विभाग के सचिव व शिक्षा निदेशक महिला के अनुकंपा नियुक्ति के दावे को देखे और उस पर उचित आदेश जारी करे। खंडपीठ ने साफ किया है कि कि हमारे इस आदेश को मिसाल के तौर पर न देखा जाए। क्योंकि इस मामले के तथ्य अलग थे इसलिए अनुकंपा नियुक्ति के बारे में विचार करने का निर्देश दिया गया है। 

Created On :   24 Dec 2021 7:29 PM IST

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