रेमडेसिविर घोटाला ‘बोफोर्स’ और ‘कोलगेट’ कांड से भी बड़ा

Remedesvir scam bigger than Bofors and Colgate scandal
रेमडेसिविर घोटाला ‘बोफोर्स’ और ‘कोलगेट’ कांड से भी बड़ा
रेमडेसिविर घोटाला ‘बोफोर्स’ और ‘कोलगेट’ कांड से भी बड़ा

डिजिटल डेस्क, नागपुर । भारत सरकार के रसायन मंत्रालय अंतर्गत औषध प्रशासन विभाग के ‘ड्रग्स प्राइस कंट्रोल ऑर्डर’ के प्रावधान के अनुसार राष्ट्रीय फार्मा प्राइस अथॉरिटी के अधिकारियों की साठगांठ से कोरोना महामारी में कुछ दवा कंपनी व माफिया द्वारा संगठित रूप से ‘रेमडेसिविर और अन्य महंगी दवाइयों का घोटाला किया जा रहा है। यह घोटाला ‘बोफोर्स’ और ‘कोलगेट’ घोटाले से भी बड़ा है। इसमें 57 हजार करोड़ रुपए की लूट हुई है। यह अभी भी बिना रोकटोक जारी है, जिसके कारण इस प्रकरण की स्वतंत्र जांच सीबीआई और ईडी के संयुक्त टीम द्वारा करने की मांग वरिष्ठ विधि विशेषज्ञ बैरि. विनोद तिवारी ने की है। इसे लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय अन्न व औषधि प्रशासन मंत्री डी.वी. सदानंद गौडा, राज्यमंत्री मनसुखभाई मांडविया, केंद्र सरकार के सचिव, मुख्य केंद्रीय सतर्कता आयुक्त, नेशनल फार्मा प्राइस अथॉरिटी और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को निवेदन भेजा है।

बैरि. तिवारी ने कहा कि कोरोना का आंकड़ा 1 करोड़ 64 लाख से अधिक पहुंच गया है। रेमडेसिविर और अन्य दवाइयों की कालाबाजारी होने से अब तक 57 हजार करोड़ से अधिक आर्थिक लूट की गई है। नेशनल फार्मा प्राइस अथॉरिटी के अधिकारियों की साठगांठ से यह लूट चल रही है। मोदी सरकार के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की नाक के नीचे यह सब शुरू है।

नेशनल फार्मा प्राइस अथॉरिटी का नियंत्रण नहीं
नेशनल फार्मा प्राइस अथॉरिटी के अंतर्गत 634 से अधिक दवाइयों पर नियंत्रण रखा गया है, लेकिन रेमडेसिविर और अन्य दवाइयों पर इस अथॉरिटी का कोई नियंत्रण नहीं है। इन दवाइयों के पैकेट पर बिक्री मूल्य 4500 से 5400 रुपए लिखकर ग्राहकों की लूट की जा रही है, जबकि इन दवाइयों का अधिकतम मूल्य 900 रुपए से ज्यादा नहीं होना चाहिए। 

इंजेक्शन की कीमत 100 रुपए होती
राष्ट्रीय औषध मूल्य नियंत्रण प्राधिकरण ने इन दवाइयों का योग्य आकलन व अध्ययन किया होता तो इस इंजेक्शन की कीमत 100 रुपए होती, किन्तु प्राधिकरण के अधिकारियों ने अपना स्वाभिमान बेचकर फार्मा कंपनियों के माफियाओं के साथ साठगांठ कर ग्राहकों की खुली लूट शुरू की है। अब तक ग्राहकों को 57 हजार करोड़ रुपए से लूटा गया है। इस संपूर्ण प्रकरण की स्वतंत्र जांच सीबीआई व ईडी की संयुक्त टीम से कराई जानी चाहिए।  

Created On :   26 April 2021 9:37 AM GMT

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