सरकार की सख्त निगरानी में होगा रेमडेसिविर का वितरण

Remedesvir will be distributed under strict supervision of the government
सरकार की सख्त निगरानी में होगा रेमडेसिविर का वितरण
सरकार की सख्त निगरानी में होगा रेमडेसिविर का वितरण

डिजिटल डेस्क, नागपुर । नागपुर में कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए कम पड़ रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन और ऑक्सीजन की कमी के मुद्दे पर मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सुनवाई हुई। जिसमें राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार की विनती पर केंद्र सरकार ने 30 अप्रैल तक महाराष्ट्र को 4,35,000 रेमडेसिविर इंजेक्शन प्रदान करने को सहमति दी है। ऐसे में हाईकोर्ट ने रेमडेसिविर के पारदर्शी और सटीक वितरण के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने के आदेश राज्य सरकार को दिए हैं। राज्य सरकार ने तुरंत हाईकोर्ट में इस पर उत्तर देते हुए गणेश रोड़के को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। नोडल अधिकारी वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से उत्पादक कंपनियों और जिम्मेदारों को जोड़कर रेमडेसिविर के सही वितरण पर गौर करेंगे, नोडल अधिकारी को रेमडेसिविर के वितरण का पूरी तरह जिम्मेदार बनाया गया है। इतना ही नहीं, राज्य सरकार बैंकॉक, सिंगापुर, बांग्लादेश जैसे देशों से रेमडेसिविर इंजेक्शन मंगाने जा रही है, इसके लिए केंद्र सरकार से अनुमति मांगी गई है। अनुमति लंबित है। इस पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से सीधा जवाब प्रस्तुत करने को कहा है कि वे महाराष्ट्र को रेमडेसिविर विदेशों से मंगाने की अनुमति देगी या नहीं।

शपथपत्र प्रस्तुत करने के आदेश दिए : हाईकोर्ट ने फार्मेसियों द्वारा सीधे रेमडेसिविर खरीद पर भी पूरी तरह प्रतिबंध लगाया है। रेमडेसिविर की हर आपूर्ति को राज्य सरकार द्वारा विकसित प्रणाली से ही पूरा करना होगा। हालांकि सरकारी वकील ने कोर्ट में दावा किया कि प्रदेश में रेमडेसिविर की निजी खरीद पहले ही प्रतिबंधित है। इस पर हाईकोर्ट ने उन्हें शपथपत्र प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा अस्पतालों में रेमडेसिविर की कालाबाजारी रोकने के लिए हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी है। इसके लिए जिलाधिकारी कार्यालय में कंट्रोल रूप स्थापित करने के आदेश दिए गए हैं।

जीवनावश्यक दवाओं पर जवाब दो : इसके अलावा अन्य जीवनावश्यक दवाएं जैसे आइवरमेक्टिन, फेविपिराविर, टोसिलिजुमैब की कमी पर भी हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है। एफडीए आयुक्त को इन दवाओं की उपलब्धता, आपूर्ति और कमी पर विस्तृत शपथपत्र प्रस्तुत करने को कहा गया है। हाईकोर्ट ने नागपुर के डब्ल्यूसीएल और मॉइल को आदेश दिए हैं कि वे अपने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी फंड से शहर के मेयो, मेडिकल और एम्स अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने के लिए आर्थिक मदद करें। इस संबंध में हाईकोर्ट ने शपथपत्र प्रस्तुत करने के आदेश जारी किए हैं। मामले में न्यायालयीन मित्र एड. श्रीरंग भंडारकर, राज्य सरकार की ओर से मुख्य सरकारी वकील केतकी जोशी, मध्यस्थी अर्जदारों की ओर से एड. एम.अनिलकुमार, एड. तुषार मंडलेकर व अन्य अधिवक्ताओं ने पैरवी की।  

एम्स में चिकित्सकों की कमी दूर करें : शहर के एम्स अस्पताल में चिकित्सकों की कमीं को दूर करने के लिए हाल ही में मेडिकल अस्पताल से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने वाले ग्रेजुएट्स को प्रतिनियुक्ति पर एम्स में नियुक्त करने के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा यदि निजी प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सक भी एम्स में यदि सेवाएं देने को तैयार हैं तो उनकी सेवाएं लेने के आदेश कोर्ट ने दिए हैं। इसके लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से इच्छुक चिकित्सकों की सूची मांगी गई है। मामले की अगली सुनवाई 29 अप्रैल को रखी गई है।
 

Created On :   28 April 2021 6:06 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story