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लंबी मशक्कत के बाद तेंदुए का हुआ रेस्क्यू, घंटों कुएं के बीचो-बीच खाट पर झूलता रहा
डिजिटल डेस्क, यवतमाल। मरखेड तहसील के खरूस गांव में एक तेंदुआ अचानक कुएं में गिर गया। जसे मशक्कत के बाद बाहर निकाला गया। तेंदुए को इन्जेक्शन देकर जालीदार पिंजरे में डालकर बाहर निकाल लिया गया। टिपेश्वर अभयारण्य के डीएफओ पांचभाई ने कहा कि उसे जंगल में छोड़ दिया जाएगा। कुआं खेत में बना है, जहां तड़के 4 बजे तेंदुआ गिरा था, लेकिन अच्छी बात ये थी कि रेस्क्यू तक तेंदुआ जिन्दा था। गुरुवार को काफी मशक्कत के बाद उसे खटिया पर बिठाया गया। हालांकि मौके पर पिंजरा नहीं पहुंचने से उसके रेस्क्यू में परेशानी आ रही थी। तेंदुआ कुएं में खाट पर पड़ा रहा, भूखा होने की वजह से कमजोर महसूस कर रहा था। पिंजरा आने के बाद उसे बाहर निकाला गया। बताया जा रहा है कि दूसरे स्थान से पिंजरा बुलवाया गया था, जिस वजह से वक्त लगा।
खेत में तुअर तोड़ेने गया किसान तेंदुए से भिड़ा
उधर चंद्रपुर की नागभिड तहसील के ग्राम देवपायली का किसान रामदास नवघडे, उमर 45 साल अपने खेत में तुअर तोड़ने गया था। जहां झाड़ियों में घात लगाए बैठे तेंदुए ने उनपर हमला कर दिया। गुरूवार दोपहर साढ़े 3 बजे के दौरान रामदास नवघडे और उनकी पत्नी तुअर तोडने के लिए अपने खेत में गए थे। तुअर की फल्ली तोडते हुए तेंदुए ने हमला किया। रामदास नवघडे ने तेंदुए के साथ दो-दो हाथ कर अपनी जान बचाई। उनके हाथ में कुल्हाडी होने के चलते तेंदुआ वहां से भागने को मजबूर हुआ। किसान के सिर और सीने पर चोटें आई हैं। उसे उपचार के लिए बालापुर के अस्पताल भर्ती कराया गया।
किसान ने वनरक्षक जोगदंडे को जानकारी दी थी, जब जाकर एक घंटे बाद बिटरगांव वनपरिक्षेत्र की टिम पहुंची थी। कुंए में खटिया छोड़कर तेंदुए को उस पर बिठाने की काफी देर तक कोशिश की गई। बड़ी मुश्किल से तेंदुआ उसपर बैठ सका। उमरखेड के उपविभागीय वनाधिकारी अमोल थोरात, वनपरिक्षेत्र अधिकारी विट्ठल मलघने दोपहर 2 बजे घटनास्थल पहुंचे थे। खटिया पर बैठे तेंदुए को निकालने का प्रयास किया जा रहा था, जिसपर किसानों की आपत्ती के बाद पिंजरा बुलाया गया। जिससे तेंदुए को रेस्क्यू के बाद जंगल में छोड़ा जाएगा। वनाधिकारी तेंदुए को कुंए से निकालकर वहीं छोड़ने के पक्ष में थे। लेकिन जिस किसान के कुंए में तेंदुआ गिरा, उसने इलाके में छोड़ने के लिए मना किया। उसका कहना था कि डर के मारे खेत में किसान और मजदूर नहीं आऐंगे। तब जाकर पांढरकवडा से पिंजरा बुलाना पड़ा।
Created On :   27 Dec 2018 12:41 PM GMT