स्टाॅयफंड नहीं मिलने से नाराज मेडिकल के निवासी चिकित्सक, 10 से काम बंद करने की तैयारी में

Resident doctors threaten to on strike due to unpaid stipend issue
स्टाॅयफंड नहीं मिलने से नाराज मेडिकल के निवासी चिकित्सक, 10 से काम बंद करने की तैयारी में
स्टाॅयफंड नहीं मिलने से नाराज मेडिकल के निवासी चिकित्सक, 10 से काम बंद करने की तैयारी में
हाईलाइट
  • अन्य मेडिकल कॉलेज भी हड़ताल में होंगे शामिल
  • नाराज मार्ड ने मेडिकल अधिष्ठाता को पत्र लिखा
  • निवासी चिकित्सकों को स्टाॅयफंड नहीं मिला है

डिजिटल डेस्क, नागपुर। दीपावली के अवसर पर शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेडिकल) के  महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (मार्ड) के निवासी चिकित्सकों के हाथ खाली हैं। डायरेक्टरेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एडं रिसर्च (डीएमईआर) द्वारा तय तिथि के बाद भी निवासी चिकित्सकों को स्टाॅयफंड नहीं मिला है। इससे नाराज मार्ड ने मेडिकल अधिष्ठाता को पत्र लिखकर 10 नवंबर से काम बंद करने की चेतावनी दी है। पत्र लिखने वालों में मेडिकल मार्ड के अध्यक्ष डॉ. अशुतोष जाधव, महासचिव डॉ. प्रतीक गांधी व उपाध्यक्ष डॉ. अरविंद भुरके शामिल हैं।

अन्य मेडिकल कॉलेज भी आए साथ 
नागपुर मेडिकल कॉलेज के साथ ही राज्य के अन्य मेडिकल कॉलेजों ने भी 10 नवंबर तक स्टाॅयफंड नहीं मिलने पर हड़ताल पर जाने के लिए पत्र लिखा है। नांदेड़ के अलावा अंबाजोगई मेडिकल कॉलेज के निवासी चिकित्सकों ने भी 10 नवंबर तक का समय दिया है।

मेडिकल में हैं 400 निवासी चिकित्सक
गौरतलब है कि मेडिकल में करीब 400 निवासी चिकित्सक हैं। हैरानी की बात यह है कि मेडिकल में नॉन-क्लीनिकल की अपेक्षा क्लीनिकल विभाग में ज्यादा सीटें हैं। ऐसे में नॉन-क्लीनिकल के निवासी चिकित्सक हड़ताल पर जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है, वहीं क्लीनिकल के निवासी चिकित्सकों के हड़ताल पर जाने से मरीजों के उपचार में संकट खड़ा हो जाता है।

मरीजों के सामने संकट
उल्लेखनीय है कि मेडिकल में उपचार के लिए विदर्भ ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के अलावा मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश आदि राज्यों के मरीज उपचार के लिए आते हैं। यहां निवासी चिकित्सकों की हड़ताल से मरीजों के सामने उपचार का संकट खड़ा हो जाता है। अस्पताल की रीढ़ कहे जाने वाले निवासी चिकित्सकों की हड़ताल के कारण एक ओर जहां मरीजों को भर्ती नहीं किया जाता है, वहीं दूसरी ओर भर्ती मरीजों को उपचार के पूर्व ही छुट्टी दे दी जाती है। इस बीच इमरजेंसी की स्थिति में भी मरीज व उनके परिजनों के सामने संकट निर्माण हो जाता है।

Created On :   6 Nov 2018 11:32 AM GMT

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