- Home
- /
- मूलभूत अधिकारों की रक्षा करना न्याय...
मूलभूत अधिकारों की रक्षा करना न्याय पालिका की जिम्मेदारी : जस्टिस सिकरी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए.के. सिकरी ने कहा कि, जनता के मूलभूत अधिकारों का रक्षा करना न्यायसंस्था की प्रमुख जिम्मेदारी है आैर कानून के विद्यार्थियों में गुणवत्ता विकसित करना विधि महाविद्यालयों की जिम्मेदारी है। वे वसंतराव देशपांडे सभागृह में आयोजित दूसरे जी.एल. सांघी स्मृति व्याख्यानमाला में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के जस्टिसएस.ए. बोबडे ने की। मंच पर प्रमुखता से मुंबई हाईकोर्ट के जस्टिसभूषण गवई, नागपुर बेंच के जस्टिसभूषण धर्माधिकारी, दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस विपीन सांघी, महाराष्ट्र राष्ट्रीय विधी विद्यापीठ के कुलगुरु डा. विजेंदर कुमार, रजिस्ट्रार डा. एन.एम. साखरकर, पूर्व अटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी उपस्थित थे।
जस्टिस सांघी ने "न्याय व्यवस्था की लोकतंत्र में प्रासंगिकता व विधि स्कूलों की भूमिका’ पर कहा कि, भारतीय संविधान की कुछ धाराएं समय के साथ बदलने का अधिकार विधान मंडल को है। इसी तरह विधान मंडल को नए कानून बनाने का अधिकार है, लेकिन संविधान का मूल स्वरुप बदला नहीं जा सकता। भावी वकील व कानून की पढ़ाई करने वालों को पहले संविधान का पठन करना चाहिए। न्यायसंस्था में काम करते समय नई पीढ़ी में न्यायिक दृष्टि विकसित करनी चाहिए। प्रामाणिक व्यावसायिकता, जिद व संयम रखने की सलाह भी जस्टिस सिकरी ने विद्यार्थियों को दी। पूर्व अटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कानून के विद्यार्थियों को सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का बारीकी से अध्ययन करने का सुझाव दिया।
जस्टिस ए.के. सिकरी, जस्टिस एस.ए. बोबडे, जस्टिस भूषण गवई, जस्टिस भूषण धर्माधिकारी का रजिस्ट्रार डा. एन.एम. साखरकर के हाथों स्मृति चिन्ह देकर सत्कार किया गया। प्रास्ताविक कुलगुरु डा. विजेंदरकुमार ने किया। संचालन दिव्यानी आैटी ने व आभार डा. साखरकर ने माना। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में हाईकोर्ट के न्यायाधीश, वकील, महाराष्ट्र राष्ट्रीय विधी विद्यापीठ के प्राध्यापक, विद्यार्थी व कर्मचारी उपस्थित थे।
लोकतंत्र के चार आधार स्तंभों में समन्वय जरूरी
जस्टिस एस.ए. बोबडे ने कहा कि, न्यायपालिका में जमे रहने के लिए गुणवत्ता जरूरी है। कभी-कभी सामान्य लोगों को विधानमंडल व न्यायसंस्था में कटुता आई, ऐसा दिखाई देता है, लेकिन वैसी बात नहीं है। लोकतंत्र की मजबूती के लिए यह जरूरी है। लोकतंत्र की मजबूती के लिए चार प्रमुख आधार स्तंभों में समन्वय होना जरूरी है। इसमें न्यायपालिका अहम रोल निभा रही है आैर भविष्य में भी निभाएगी।
Created On :   2 Sept 2018 6:16 PM IST