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सूचना के अधिकार पोर्टल में नहीं है लॅागिन की सुविधा,बर्बाद हो रहा समय

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सूचना के अधिकार पोर्टल में लॅागिन की सुविधा नहीं होने के साथ अन्य खामियां भी सामने आ रही है। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम बनाकर देश के नागरिकों को शासकीय कार्यों पर नजर रखने व कार्य में पारदर्शिता लाने की पहल की थी। महाराष्ट्र शासन ने भी इसे अपनाया और इसके चलते पूरे प्रदेश में आरटीआई एक्टिविस्टों की एक बड़ी तादाद खड़ी हो गई।
कई बार सूचना के अधिकार के अंतर्गत मिली जानकारी ने प्रदेश को चौंकाया भी और बड़े-बड़े घोटाले भी सामने आए हैं। इस अधिकार का अधिक से अधिक प्रयोग हो सके और लोगों को सूचना के अधिकार का अधिकाधिक लोग प्रयोग कर सकें, इसके लिए केंद्र सरकार ने सूचना के अधिकार के लिए ऑनलाइन पोर्टल का निर्माण किया व केंद्र के कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग ने सन् 2013 में सभी राज्य सरकारों से केंद्र के जैसे ही पोर्टल तैयार करने की सिफारिश की।
बर्बाद होता है समय
महराष्ट्र सरकार ने ऑनलाइन पोर्टल तो बनाया, लेकिन केंद्र द्वारा दी गई सुविधाओं का अभाव रहा। सरकार के नीतिगत निर्णय, विधानसभा में पूछे गए प्रश्न पर उत्तर तथा शासकीय आदेश व न्यायालय द्वारा दिए गए आदेशों पर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई संबंधित करीब 350 आरआईटी आवेदन करने वाले महात्मा गांधी आयुर्विज्ञान संस्था के न्यायिक वैद्यकीय शास्त्र विभाग के प्राध्यापक डा. इंद्रजीत खांडेकर ने बताया कि केंद्र व राज्य सरकार के पोर्टल में बड़ा अंतर है।
राज्य शासन के पोर्टल में लाॅगिन आईडी बनाने की सुविधा ही नहीं है। इससे हर बार आवेदन करते समय व्यक्तिगत जानकारी हर बार भरनी होती है, जो समय खाऊ प्रक्रिया है। इसके अलावा यदि किसी कारणवश नेट में रुकावट आती है या बंद होता है, तो पूरी जानकारी पुन: प्रविष्ठ करनी होती है। केंद्र सरकार के पोर्टल में जो आवेदन कुछ ही मिनट में किया जा सकता है वही राज्य सरकार का पोर्टल घंटों खा जाता है। उन्होंने मुख्यमंत्री व शासन से अपील की है कि वे सूचना के अधिकार के पोर्टल को सुविधाजनक व सरल करें, ताकि राज्य के नागरिक इसका अधिक से अधिक प्रयोग कर सकें।
Created On :   10 May 2018 3:35 PM IST