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शिकायतों के बाद ग्राम जलापूर्ति और स्वच्छता समिति के अधिकारों में हुई कटौती

डिजिटल डेस्क, मुंबई। ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति परियोजनाओं में हो रही देरी के मद्देनजर ग्राम जलापूर्ति व स्वच्छता समिति के अधिकारों में कटौती कर दी गई है। गुरुवार को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। दरअसल ग्रामीण जलापूर्ति योजना का नियोजन, अमल व देखभाल की जिम्मेदारी ग्रामीण जलापूर्ति व स्वच्छता समिति के पास है। इस समिति के पास 2 करोड़ तक के काम करने के अधिकार हैं, लेकिन समिति के कामकाज को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही थी। शिकायतों के अनुसार परियोजनाएं लंबे समय से लटकी रहती हैं साथ ही निधि में घपले की भी शिकायतें मिल रही थी। इसलिए राज्य सरकार ने ग्रामीण जलापूर्ति व स्वच्छता समिति के अधिकार रद्द कर दिए हैं। यह कार्य अब जिला परिषद करेगी। साथ ही जिला परिषद के साढे सात करोड़ रुपए तक के काम करने के अधिकार को कम कर पांच करोड़ तक सीमित कर दिया गया है। पांच करोड़ से अधिक का कार्य महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण को सौंप दिए गए हैं। ग्रामीण जलापूर्ति व स्वच्छता समिति के पास अब भी नल पानी जलापूर्ति योजना के नियोजन और योजना पूरी होने के बाद उसके देखभाल-मरम्मत की जिम्मेदारी रहेगी।
खेत के रास्तों के लिए अधिक निधि
खेतों के लिए बारहमासी रास्तों (पाणंद) के कार्यों को गति देने के लिए विभिन्न योजनाओं से निधि उपलब्ध कराने का फैसला राज्य मंत्रिमंडल ने लिया है। इस योजना के तहत पत्थर व बालू से कच्चे खेत रास्तों के मजबूतीकरण, पक्के रास्तों को अतिक्रमण मुक्त करने और कच्चे व पक्ते रास्तो को एक साथ बनाने का कार्य शामिल होगा। इसके लिए चौदहवे वित्त आयोग, सांसद-विधायक निधि, वैधानिक विकास महामंडल निधि, गौण खनिज विकास निधि के अलावा ग्राम पंचायतों को जनसुविधाओं को लिए दिए जाने वाले अनुदान, राजस्व अनुदान, जिला परिषद व पंचायत समिति चुंगी सहित अन्य जिला योजनाओं के तहत मिलने वाली निधि से पैसे दिए जा सकेंगे। इसके लिए राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है।
परिचारिका अधिनियम में होगा संशोधन
महाराष्ट्र परिचर्या (नर्सिंग) परिषद के चुनाव तय समय पर नहीं कराए जा सके तो परिषद पर प्रशासक की नियुक्ति के लिए महाराष्ट्र परिचारिका अधिनियम-1966 में संशोधन किया जाएगा। इसके लिए राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। अधिनियम की धाराओं के तहत कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद परिषद के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद पर बने रहते हैं। अब सरकार चाहती है कि नए चुनाव होने तक परिषद का कामकाज प्रशासक देखे। इसके लिए विधानमंडल के बजट सत्र में संशोधन विधेयक पेश किया जाएगा।
Created On :   22 Feb 2018 10:41 PM IST