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ऑनलाइन उपलब्ध होंगे अब आरएल लेटर, अनधिकृत ले-आउट का सर्वे शुरू

डिजिटल डेस्क, नागपुर । गुंठेवारी कानून के तहत दिसंबर 2022 तक 70 हजार भूखंडों का नियमितीकरण करना है। निर्धारित अवधि मंें काम पूरा करने के लिए नागपुर सुधार प्रन्यास द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं। अनधिकृत ले-आउट का सर्वे करने के लिए एजेंसी नियुक्त कर दी गई है। इस एजेंसी के सहयोग से सिटी सर्वे द्वारा अनधिकृत ले-आउट का सर्वे कर आखिव पत्रिका तैयार की जाएगी। आखिव पत्रिका तैयार होते ही नागपुर सुधार प्रन्यास द्वारा भूखंडधारकों को आरएल व डिमांड लेटर(नियमितीकरण पत्र व मांग पत्र) जारी किए जाएंगे। इसके लिए ऑनलाइन व्यवस्था की जा रही है।
अब समूचे ले-आउट का सर्वे : नासुप्र सभापति मनोज सूर्यवंशी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि एक-एक भूखंड का सर्वे न कर समूचे ले-आउट का सर्वे करने का निर्णय लिया गया है। इस निर्णय का लाभ संबंधित ले-आउट के सभी भूखंडधारकों को मिलेगा व जिन लोगों ने अब तक भूखंड नियमितीकरण के लिए आवेदन नहीं किए, उनके भूखंड भी तत्काल नियमित किए जा सकेंगे।
सर्वेक्षण बरसों से अटका है : राज्य सरकार द्वारा गुंठेवारी विकास अधिनियम में विशेष प्रावधान कर 31 दिसंबर 2020 तक गुंठेवारी क्षेत्र की भू-संपत्ति नियमित करने का निर्णय लिया गया था। चौंकानेवाली बात यह है कि इस निर्णय के बावजूद अबतक गुंठेवारी क्षेत्र की भू-संपत्ति के नियमितीकरण की प्रक्रिया कागजों तक ही सीमित है। उपराजधानी में भू- संपत्ति का सर्वेक्षण बरसों से अटका हुआ है। तकरीबन 3 साल पहले भूमि अभिलेख विभाग द्वारा ग्रामीण इलाकों में ड्रोन से भू-संपत्ति का सर्वेक्षण शुरु किया गया था। यह सर्वेक्षण भी अब तक संपन्न नहीं हो सका है।
फिर यह निर्णय लिया : दूसरी ओर गुंठेवारी कानून के तहत नागपुर जिले के 1700 से अधिक अनधिकृत ले-आउट का सर्वेक्षण कर जमीन धारकों को प्रापर्टी कार्ड व आर.एल. लेटर जारी करने का निर्णय लिया गया था। तकनीकि अड़चन व जमीन विवाद के मामलों के मद्देनजर प्रथम चरण में 1700 अनधिकृत ले-आउट में से 600 अनधिकृत ले-आउट का ही सर्वेक्षण कर नियमितीकरण करने का निर्णय लिया गया। नीति में फिर बदलाव हुआ और नागपुर सुधार प्रन्यास द्वारा दिसंबर 2022 तक 70 हजार भूखंडों को नियमितीकरण के दायरे में लाने का निर्णय लिया गया। इसके लिए 13 अप्रैल 2022 से भूखंडधारकों से आवेदन व जमीन संबंधी दस्तावेज आमंत्रित किए गए।
शुल्क भी वसूले गए हैं : योजना थी कि भूखंडधारकों से सर्वेक्षण शुल्क वसूल कर उनके भूखंड की नाप-जोख की जाएगी, नाप-जोख के मुताबिक स्वतंत्र आखिव पत्रिका तैयार होगी और भूखंड का नियमितीकरण शुल्क वसूलकर नियमितीकरण कर दिया जाएगा। अब कहा जा रहा है कि एक-एक भूखंड का सर्वे न कर समूचे ले-आउट का सर्वे होगा, जबकि भूखंड सर्वे के नाम पर भूखंडधारकों से प्रति भूखंड 2 हजार रुपए शुल्क वसूला गया है।
70 हजार भूखंडों का सर्वेक्षण : 70 हजार भूखंडों का सर्वेक्षण कर नक्शा बनाने व आखिव पत्रिका तैयार करने में सिटी सर्वे को 2-3 वर्ष का समय लग सकता है। इस काम को जल्द से जल्द निपटाने के लिए सुधार प्रन्यास द्वारा एजेंसी के जरिए सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया गया है। एजेंसी के कर्मचारी नाप-जोख कर नक्शा तैयार करेंगे, जिसे सिटी सर्वे के अधिकारी द्वारा प्रमाणित किया जाएगा। यह प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके साथ ही भूखंड नियमितीकरण के लिए ऑनलाइन डिमांड की भी व्यवस्था की जा रही है। -मनोज सूर्यवंशी, सभापति, नासुप्र
Created On :   29 Sept 2022 1:13 PM IST