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गोलवलकर के कुछ विचारों से संघ का असहमत होना नए दौर के बदलाव का हिस्सा : वैद्य

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक रहे माधव सदाशिवराव गोलवलकर के कुछ विचारों से संघ के असहमत होने के मामले को संघ विचारक मा.गो वैद्य ने नए दौर के बदलाव का हिस्सा माना है। उन्होंने कहा है कि समयानुरुप बदलाव होते रहते हैं। संविधान और संघ में भी पहले बदलाव हुए हैं। लिहाजा अब कोई बदलाव या सुधार की बात हो रही है तो उसे अन्यथा लेने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि संघ स्वयंसेवक से बनता है। संघ काे समझना आसान नहीं है। शुक्रवार को पत्रकार क्लब में प्रेस कांफ्रेंस में श्री वैद्य बोल रहे थे। 96 वर्षीय श्री वैद्य ने कहा कि वे फिलहाल संघ के किसी पद पर नहीं है, लेकिन स्वयंसेवक के नाते आव्हान करते हैं कि सभी ने राष्ट्र व राज्य की परिकल्पना को समझते हुए राष्ट्र विकास में योगदान देना चाहिए। संघ का कुछ दिन पहले ही चिंतन शिविर हुआ।
सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत ने कहा है कि संघ माधव सदाशिवराव गोलवलकर के विचार संग्रह बंच आफ थाट्स के कुछ हिस्सों से असहमत हैं। दलित, मुस्लिम व क्रिश्चयनों को लेकर व्यक्त किए गए विचार कालबाह्य हो गए हैं। संघ ने श्री गुरुजी विजन आैर मिशन प्रकाशित किया है। गोलवलकर संघ के दूसरे सरसंघचालक थे,लिहाजा बहस चल रही है कि वर्तमान संघ अपने ही सरसंघचालक रहे व्यक्ति से दूरी बना रहा है। इस मामले पर श्री वैद्य ने कहा कि संघ किस तरह का बदलाव चाहता है यह तो सरसंघचालक ही स्पष्ट कर पाएंगे। लेकिन यह अवश्य है कि बदलाव की प्रक्रिया को अनुचित नहीं ठहराया जा सकता है। श्री गुरुजी विजन और मिशन किताब को उन्होंने फिलहाल पढ़ा नहीं है। संघ में समय समय पर बदलाव होते रहा है। पोशाक बदल गई है। बदलाव की प्रक्रिया के तहत ही संघ में राष्ट्रीय मुस्लिम मंच का गठन हुआ।
देश के संविधान में संशोधन होते रहे हैं। पहले संविधान में समाजवाद का समावेश था। अब समाजवाद कहीं नहीं है। धर्मनिरपेक्ष शब्द का समावेश 1976 में किया गया। सरसंघचालक रहे के.सी सुदर्शन ने तो संविधान को ही बदल देने को कहा था। कई मामले हैं जो समयानुरुप कही व बदली जाती है। पत्रकार वार्ता में पत्रकार क्लब के अध्यक्ष प्रदीप मैत्र, वरिष्ठ पत्रकार विनोद देशमुख, शिरीष बोरकर उपस्थित थे।
यह भी कहा
- एससी,एससी को संविधान ने आरक्षण दिया है। जरुरतमंद को आरक्षण मिलना चाहिए। ओबीसी में क्रिमिलेयर श्रेणी से कम के लोगों को ही आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए। कई गरीबों को भी आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता है। उनका भी ध्यान रखा जाना चाहिए।
- अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर निर्भर है। मुस्लिमों के देश में योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। आपातकाल में मुसलमान भी सत्याग्रह कर रहे थे।
- कांग्रेस का रहना जरुरी है। संवैधानिक व्यवस्था में विपक्ष का महत्व है। मुक्त नहीं युक्त की ही बात आवश्यक है। इंग्लैंड , अमेरिका में दो दलों की राजनीति चलती है।
- महिलाओं को मंदिर में प्रवेश मिलना चाहिए। संघ में राष्ट्रसेविका समिति काम कर रही है। संघ की सभाओं में भी महिला प्रतिनिधि शामिल रहती है।
- राष्ट्र व राज्य की अवधारणा को समझना आवश्यक है। राज्य कानून से चलनेवाली एक व्यवस्था है। संघ राष्ट्र के विचार के साथ काम करता है।
- धर्म व रिलीजन में अंतर है। स्वयं या करीबियों के लिए किए जानेवाले कार्य को धर्म नहीं माना जा सकता है।
Created On :   28 Sept 2018 3:50 PM IST