भागवत बोले: RSS का रजिस्ट्रेशन नहीं, फिर भी संस्थागत नियमों का किया जा रहा पालन

RSS is not registered but we are following the rules of a organization- Mohan Bhagwat
भागवत बोले: RSS का रजिस्ट्रेशन नहीं, फिर भी संस्थागत नियमों का किया जा रहा पालन
भागवत बोले: RSS का रजिस्ट्रेशन नहीं, फिर भी संस्थागत नियमों का किया जा रहा पालन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संगठनात्मक पंजीयन को लेकर सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने पहली बार जवाब दिया है। उनका कहना है कि अंग्रेजों  के शासन काल में आरएसएस की स्थापना की गई थी। उस समय संस्था पंजीयन का कोई नियम नहीं था। इसलिए आरएसएस का पंजीयन नहीं कराया गया, लेेकिन संस्थागत नियमों का पूरा पालन किया जा रहा है। सरसंघचालक के जवाब को सामाजिक कार्यकर्ता जनार्दन मून ने अनुचित ठहराया है। मून ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पंजीयन का मामला उठाया था। उन्होंने स्वयं की संस्था का पंजीयन इसी नाम से कराने का आवेदन किया था। न्यायालय तक यह मामला पहुंचा था। मून ने कहा है कि अंग्रेजों के समय भी कानूनी प्रावधान थे। उस समय के संवैधानिक अधिनियमों का अब भी पालन हो रहा है। ऐसे में कैसे मान लिया जाए कि पहले कोई संस्था पंजीयन ही नहीं कराती थी। 

नियमों से चलनेवाली संस्था है
गौरतलब है कि सरसंघचालक ने दिल्ली में संघ के कार्यक्रम ‘भविष्य का भारत व दृष्टिकोण’ विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला में संघ से संबंधित विविध प्रश्नों के उत्तर दिए। संघ के पंजीयन के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि संघ की स्थापना 1925 में हुई थी। अंगरेज शासन काल में सामाजिक संस्थाओं के पंजीकरण का कोई कानून नहीं था। इसलिए संघ का पंजीयन नहीं कराया गया। सरसंघचालक ने यह भी कहा कि संघ नियमों के साथ चलनेवाली संस्था है। इस संस्था को बाडी ऑफ इंडिविजुअल का दर्जा मिला है। संघ के आर्थिक व्यवहार का आडिट होता है। बैंकों के माध्यम से आर्थिक व्यवहार होते हैं। मून ने कहा है कि संघ के पंजीयन को लेकर पहले ही गोलमाल जवाब आते रहे हैं। पहले ही चंद्रपुर में एक संस्था का पंजीकरण इस नाम से करने का दावा किया गया। अब संघ की ओर से ही कहा जा रहा है कि कोई पंजीयन नहीं किया गया है। संस्था का पंजीयन नहीं है, तो आर्थिक व्यवहार का आडिट कैसे किया जा सकता है। आर्थिक व्यवहार का रिकार्ड किसी को देने की आवश्यकता हो सकती है।


 

Created On :   21 Sep 2018 8:09 AM GMT

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