अविश्वास प्रस्ताव को लेकर विधानसभा में हुई नोंकझोंक

Ruckus in the MP Assembly regarding the no-confidence motion
अविश्वास प्रस्ताव को लेकर विधानसभा में हुई नोंकझोंक
अविश्वास प्रस्ताव को लेकर विधानसभा में हुई नोंकझोंक
हाईलाइट
  • अविश्वास के बिंदुओं में कुछ नया नहीं
  • नेताप्रतिपक्ष का अपने दल के विधायकों पर भरोसा नहीं
  • मध्य प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार को शुरू हुआ।

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार को शुरू हुआ। शून्यकाल के बाद सदन में सरकार के खिलाफ विपक्ष की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में सत्तापक्ष और विपक्षी सदस्यों में जमकर नोंक झोंक हुई। सवाल उसकी ग्राहयता को लेकर था। विपक्ष ने आसंदी से यह मांग की कि अविश्वास पढ़ने का अवसर दिया जाए। यह हमारा अधिकार है कि हम अविश्वास प्रस्ताव लाएं और सरकार को उस पर जवाब देना होगा। जबकि सत्तापक्ष का कहना था कि अविश्वास विधिसम्मत नहीं है। अविश्वास के सारे बिंदु ऐसे हैं जिन पर पहले ही चर्चा हो चुकी है। ऐसे में सरकार के समय का नुकसान होगा और जनहित से जुड़े मामले प्रभावित होंगे।

नेताप्रतिपक्ष का अपने दल के विधायकों पर भरोसा नहीं
कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य राम निवास रावत ने जब आसंदी से यह कहा कि अविश्वास का प्रस्ताव सचिवालय को दिया जा चुका है, ऐसे में हमें उसे पढऩे की अनुमति दी जाए। तो इसका जवाब देने खड़े हुए सरकार के संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने विपक्ष के अविश्वास पर सवाल खड़ा कर दिया और कहा कि यह अविश्वास विधिसम्मत नहीं है। प्रस्ताव देने वाले नेता प्रतिपक्ष का खुद का हस्ताक्षर नहीं है जिसे बाद में सचिवालय ने ठीक कराया है। मंत्री मिश्रा ने आगे कहा कि नेताप्रतिपक्ष का अपने दल के विधायकों पर ही विश्वास नहीं है क्योंकि वे यह प्रस्ताव लेकर अकेल आए थे। उन्होंने यह भी कहा कि समर्थन में किसी भी विधायक के हस्ताक्षर नहीं हें। सरकार के ही वन मंत्री गौरीशंकर शेजवार ने भी कहा कि जिस प्रस्ताव में हस्ताक्षर बुलाकर किया जाता हो या संशोधित प्रस्ताव लाया जाता है वह स्वत: ही शून्य हो जाता है।

अविश्वास के बिंदुओं में कुछ नया नहीं
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में बोलते हुए सरकार के पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि इस प्रस्ताव के अधिकतर बिंदु वही हैं जो पहले या आज सवालों या ध्यानाकर्षण के माध्यम से आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि कोई नई चीज हो तो बताया जाये। ऐसे में उन सवालों और जवाबों को एक जगह संकलित करके विपक्ष को दे दिया जाए। मंत्री भार्गव के इस कथन पर भी हंगामा हुआ। विपक्षी दल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बाला बच्चन ने कहा कि हम सरकार से पूछकर अविश्वास प्रस्ताव तैयार नहीं करेंगे ,यह हमारा अधिकार है। सरकार हमारे प्रस्तावों की अनदेखी करना चाहती है। अभी बात समझ में नहीं आ रही जब सीटिंग बदलेगी तो सब समझ में आ जाएगा और तब हम बताएंगे कि जनहित के मामले क्या होते हैं।

एक-एक मंत्री का चिट्ठा खोलकर रख दूंगा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामनिवास रावत ने कहा कि अविश्वास के लिए सरकार बेवजह तर्क और बहस कर रही है। ऐसे प्रस्ताव के लिए कोई शर्त नहीं होती और न ही किसी प्रकार का विशेष नियम होता है। विपक्ष अपनी सूचना देकर इसे सदन में ला सकता है। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि सरकार अविश्वास के ग्राहयता को लेकर इतना परेशान क्यों है। जवाब क्यों नही देना चाह रही है। सरकार भाग क्यों रही है चर्चा से। मैं उसके भागने की परेशानी समझ सकता हूं। उन्होंने संसदीय कार्य मंत्री से कहा कि आप बता दो समय कि कब देना है, मैं सरकार के एक-एक मंत्री का चिट्ठा खोलकर रख दूंगा।

सदन नियम और परंपराओ से चलता है
सदन में अविश्वास पर दोनों दलों के सदस्यों को सुन लेने के बाद विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा ने कहा कि सदन नियम और परंपराओ से चलता है। ऐसे में अभी तक न तो मैंने चर्चा के लिए बुलाया है और न ही किसी प्रकार की अनुमति दी है। ऐसे में सवाल ही नहीं उठता कि अविश्वास प्रस्ताव सदन में आ जाए। आसंदी ने नियम 143 का हवाला भी दिया और बीते वर्ष 2011 में आरोप पत्र या अविश्वास प्रस्ताव का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि 23 जून को रामनिवास रावत का एक प्रस्ताव आया है जो विचारणीय है, लेकिन अविश्वास पर ऐसा कुछ नहीं है। आसंदी ने बीते वर्षों में लाए गए अविश्वास प्रस्तावों पर समय को लेकर भी सदस्यों को अवगत कराया।

Created On :   25 Jun 2018 5:10 PM GMT

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