विधानसभा में कई मु्द्दों पर घमासान, पानी पर संभले, रिफायनरी पर फिसले

Ruckus on many issues in Assembly, Answered on water, slipped on refinery issue
विधानसभा में कई मु्द्दों पर घमासान, पानी पर संभले, रिफायनरी पर फिसले
विधानसभा में कई मु्द्दों पर घमासान, पानी पर संभले, रिफायनरी पर फिसले

डिजिटल डेस्क, नागपुर। रघुनाथसिंह लोधी। पानी ने बत्ती गुल की थी। सरकार पर आरोपों की बौछारें हुईं। लग रहा था, पानी विधानसभा को चलने नहीं देगा। सत्ता में शामिल शिवसेना, सरकार के विरोध में बाण कसती दिख रही थी। मुंबई मनपा सेना के पास है और नागपुर मनपा भाजपा के पास। शिवसेना की ओर से कहा भी, मुंबई के पानी पर खूब रंग जमाते हो अब नागपुर के पानी पर क्या कहोगे। शिवसेना ने यह भी पूछ लिया, नागपुर में मानसून सत्र लाया ही क्यों। सरकार की ओर से शिवसेना को उत्तर मिलता, उससे पहले ही मुंबई धुल गई। झमाझम कुछ ऐसी हुई कि शिवसेना पानी का मुद्दा ही भूल गई।

विधानसभा मेें सत्र के दूसरे सप्ताह की शुरुआत मुंबई के पानी के साथ हुई। शिवसेना चुप। राकांपा, कांग्रेस ने प्रश्न की औपचारिकता पूरी की। आधे घंटे में ही नागपुर विधानसभा में पानी घुसने का मामला चर्चा से बाहर हो गया। दिन भर कामकाज हुआ। दूसरे दिन भी शिवसेना के तेवर सामान्य थे, लेकिन तीसरे दिन रिफायनरी की फिसलन सामने आ गई। कामकाज में जमकर गतिरोध।

कोंकण क्षेत्र में नाणार रिफायनरी परियोजना के मामले काे  शिवसेना ने नाक का विषय बना रखा है। परियोजना का संबंध उद्योग से है। उद्योगमंत्री शिवसेना के हैं, लेकिन नाणार पर शिवसेना को बोलने का मौका ही नहीं मिला। सत्र के पूर्व संध्या पर पत्रकार वार्ता में मौका था तो मुख्यमंत्री  ने सीधे तौर पर उद्योगमंत्री को यह कहकर बोलने से रोक दिया कि पत्रकार वार्ता मैंने यानी मुख्यमंत्री ने ली है। विधानमंडल में भी उद्योग मंत्री को बोलने देने के बजाय मुख्यमंत्री पीठासीन अधिकारी से पहले ही निवेदन कर गए कि नाणार पर उत्तर उनका ही होगा। लिहाजा शिवसेना अपनी उपस्थिति दर्शाने लगी। हंगामा किया। विधानसभा अध्यक्ष के सामने रखने सर्वोच्च सम्मान के प्रतीक राजदंड को उठाकर ले जाने लगे। मुख्यमंत्री रहे नारायण राणे के पुत्र नीतेश राणे भी चमक गए। स्वयं को कोंकण की माटी का ऋणी दर्शाते हुए नीतेश नाणार का विरोध करने लगे।

राजदंड ले जाने की झूमाझटकी में शामिल हुए। खींचतान कुछ ऐसी हुई कि विधायक व सुरक्षा रक्षक गिर पड़े। दूसरे सप्ताहांत तक शिवसेना का तेवर कायम रहा। नाणार पर सुनने सुनाने के बजाय सीधे रद्द करने की मांग करने लगे। शिवसेना तो चर्चा में रही ही,दो चेहरे प्रमुखता से चर्चा में रहे, राकांपा सदस्य छगन भुजबल और सहकार मंत्री सुभाष देशमुख। भ्रष्टाचार मामले में जेल से जमानत पर छूटे भुजबल दूसरे सप्ताह में ही सत्र कार्यवाही में शामिल हुए थे। ओबीसी नेता के तौर पर उनकी नागपुर में इंट्री को दमदार बनाने का प्रयास उनके समर्थकों ने किया था। बड़ा स्वागत हुआ। विधानसभा में भुजबल ने सरकार को घेरने का प्रयास किया।

आंकड़ों के साथ सरकार पर वार करने लगे। वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार स्वयं को रोक नहीं पाए। भुजबल के विरोध में मुनगंटीवार बोलने लगे। चर्चा संवाद माध्यमों के माध्यम से भी खूब गूंजी। कर्जमाफी व फसल बीमा के मामले में राकांपा सदस्य अजित पवार ने सरकार पर वार किया। बीड जिले में फसल बीमा वितरण के आंकड़े देते कहा कि 15691 किसानों को 1 रुपए से 5 रुपए तक फसल बीमा का लाभ मिला। सरकार का उपहास उड़ाते पवार को उत्तर देने के लिए सहकार मंत्री का तेवर चढ़ा। मंत्री ने विपक्ष पर ही आरोपों की झड़ी लगा दी। मंत्री ने कैग रिपोर्ट के हवाले से कहा पहले की सरकार के समय कर्जमाफी का ज्यादातर रुपए बैंकों व सहकारी संस्थाओं ने दबा लिया। बैंकों को डूबोने की स्थिति में पहुंचा चुकी सोसायटियां ही कर्ज चुका दे तो बड़ी राहत मिलेगी। पर ये साेसायटियां पहले की सरकार में शामिल लोगों की है।

Created On :   15 July 2018 4:50 PM IST

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