महाराष्ट्र : आरक्षण को लेकर दोनों सदनों में हंगामा, नहीं चल सकी कार्यवाही

Ruckus on reservation in both Houses of maharashtra assembly
महाराष्ट्र : आरक्षण को लेकर दोनों सदनों में हंगामा, नहीं चल सकी कार्यवाही
महाराष्ट्र : आरक्षण को लेकर दोनों सदनों में हंगामा, नहीं चल सकी कार्यवाही

डिजिटल डेस्क, मुंबई। शीतकालीन सत्र का दूसरा दिन भी हंगामेदार रहा। मराठा, मुस्लिम, धनगर और लिंगायत समाज को आरक्षण की मांग को लेकर विपक्ष ने आक्रामक रुख अपनाया। जिसके चलते पहले विधान परिषद और बाद में विधानसभा की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी। इस दौरान मुस्लिम आरक्षण की मांग कर रहे कांग्रेस व एमआईएम के मुस्लिम विधायकों ने राजदंड उठा लिया। मराठा, धनगर व मुस्लिम आरक्षण को लेकर सरकार की सफाई से असंतुष्ट विपक्षी सदस्यों के हंगामें के चलते विधानसभा की कार्यवाही चार बार स्थगित करनी पड़ी। लगातार हंगामें के चलते सदन का कार्यवाही गुरूवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। कार्यवाही शुरू होते ही विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखेपाटील ने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर सरकार को यह कहते हुए घेरा कि उसकी नीयत साफ नहीं है इसीलिए उसने विपक्ष को भरोसे में नहीं लिया।

विखेपाटील ने सरकार से पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशें तुरंत सदन के पटल पर रखने की मांग की। विखेपाटील ने कहा कि अभी 52 फीसदी आरक्षण है, सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए वह कितना आरक्षण देगी। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज को भी हमारी सरकार ने आरक्षण दिया था जिसे हाईकोर्ट ने भी मान्य किया था। लेकिन मौजूदा सरकार यह आरक्षण नहीं देना चाहती। इसी तरह धनगर आरक्षण को भी लेकर गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाली जा रही है। NCP नेता अजित पवार ने कहा कि इस मुद्दे पर हम राजनीति नहीं करना चाहते अगर सरकार को लगता है कि आयोग की सिफारिशें सदन के पटल पर रखने से वह सार्वजनिक हो जाएगी और उसे अदालत में चुनौती दी जा सकेगी तो विरोधी पक्ष नेता, गटनेताओं के साथ बैठक कर इस मुद्दे पर विचारविमर्श किया जा सकता है। अजित पवार ने कहा कि सरकार जो भी करे, लेकिन मौजूदा 52 फीसदी आरक्षण को ठेस नहीं पहुंचना चाहिए। शेकाप के गणपतराव देशमुख ने धनगर समाज को आरक्षण देने के लिए जल्द कदम उठाने की मांग की। 

सरकार का जवाब

विपक्षी सदस्यों के सवालों के जवाब देते हुए राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटील ने कहा कि इस मुद्दे पर मैं अजित पवार की राय से सहमत हूं कि रिपोर्ट पटल पर रखने के बाद इसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है। लेकिन कुछ लोग चाहते हैं कि मराठा आरक्षण न मिले। पिछली सरकार में नारायण राणे समिति की रिपोर्ट सदन में रखे जाने के बाद कुछ ऐसा ही हुआ था। मुख्यमंत्री पहले ही साफ कर चुके हैं कि 52 फीसदी आरक्षण से छेड़छाड़ के बिना मौजूदा आरक्षण दिया जाएगा। पाटील ने कहा कि धनगर समाज को आरक्षण का मुद्दा केंद्र सरकार के आदिवासी आयोग के पास है। हम चाहते हैं कि धनगर समाज को शेड्यूल ट्राइब मानकर आरक्षण दिया जाए। पाटील ने कहा कि मुस्लिम समाज के ओबीसी को मौजूदा नियमों के मुताबिक आरक्षण का लाभ मिल रहा है। हम धर्म के आधार पर आरक्षण का समर्थन नहीं करते। शिक्षा मंत्री विनोद तावडे ने आरोप लगाया कि कुछ लोग नहीं चाहते कि आरक्षण टिक सके इसीलिए ऐसी मांगे कर रहे हैं जिससे इसमें अड़चन डालकर रोका जा सके। लेकिन हम कानूनी प्रक्रिया पूरी कर ठोस तरीके से आरक्षण देंगे। 

विधायकों ने उठाया राजदंड

मुस्लिम आरक्षण की मांग करते हुए विधायक असलम शेख, अबू आसिम आजमी, सतीश पाटील, अब्दुल सत्तार, अमीन पटेल, आसिफ शेख, वारिस पठान ने राजदंड उठा लिया। राजदंड उठाने की घटना तीन बार हुई। इसके अलावा अध्यक्ष के आसन के सामने कागज फाड़कर और बैनर लहाराकर भी विरोध प्रदर्शन किया। इस मुद्दे पर विपक्षी विधायकों ने जोरदार हंगामा किया।  

सूखा, आरक्षण पर विप में हंगामा, नहीं चल सकी सदन की कार्यवाही 

विधानमंडल शीतकालिन सत्र के दूसरे दिन विपक्ष के हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही नहीं चल सकी। सूखा, मराठा, धनगर और मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष आक्रामक नजर आया। विपक्ष के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दो बार और फिर दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। मंगलवार को सदन का कामकाम शुरू होते ही विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे ने नियम 289 के तहत सूखा, मराठा, धनगर और मुस्लिम समाज के आरक्षण का मुद्दा उठाया। मुंडे ने कहा कि हमें सदन में सूखे पर चर्चा नहीं करनी है। सरकार सूखा प्रभावित किसानों के लिए प्रति हेक्येटर 50 हजार और फलबाग के किसानों के लिए प्रति हेक्येटर 1 लाख रुपए मदद की घोषणा करे। इसके अलावा किसानों का एक साल का बिजली माफ किया जाए। साथ ही विद्यार्थियों का साल भर का शिक्षा शूल्क माफी दी जाए।

मुंडे ने कहा कि राज्य में लोग साल 1972 के सूखे का उदाहरण देते हैं। लेकिन प्रदेश में ऐसी परिस्थित पैदा हो गई है कि भविष्य में लोग साल 2018 के भयंकर सूखे का उदाहरण देंगे। सदन में कांग्रेस के सदस्य भाई जगताप ने कहा कि केंद्र सरकार की नई सूखा संहिता अपनाने के कारण राज्य में कई जगहों पर सूखा घोषित नहीं हो पाया है। यदि राज्य सरकार पुराने पद्धति के अनुसार फैसला लेती तो राज्य की 201 तहसीलें सूखे के दायरे में आती। इस दौरान विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दो बार 30-30 मिनट के लिए और फिर दिन भर के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।

Created On :   20 Nov 2018 1:54 PM GMT

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