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सागर खादीवाला की कविता यूनिवर्सिटी पाठ्यपुस्तक में शामिल करने पर बवाल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर के सुपरिचित कवि डा. सागर खादीवाला की कविता को राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा बी.काम. द्वितीय वर्ष के पाठ्यपुस्तक में शामिल किए जाने पर कविता के विरोध को लेकर बवाल मचा हुआ है। डा. खादीवाला की कविता को पाठयक्रम से हटाने का प्रयास किए जाने का खुलासा हुआ है, लेकिन इसमें असफल रहने पर बोर्ड ऑफ स्टडीज की वाणिज्य भाषा मंडल की हिंदी की एकमात्र सदस्य डा. सोनू जेसवानी को विवि द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है।
डा. खादीवाला ने ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में बताया कि नागपुर विवि की बोर्ड ऑफ स्टडीज की वाणिज्य भाषा मंडल की हिंदी सदस्य डा. सोनू जेसवानी ने पत्राचार कर बी.कॉम. द्वितीय वर्ष के पाठयक्रम के लिए उनसे देशभक्ति की कविता मांगी थी। इसलिए उन्होंने अपनी कविता ‘देशभक्ति की स्याही’ जेसवानी को दी थी। इस कविता को पाठ्यपुस्तक ‘पारिजात’ में शामिल किया जाना था। इसी दौरान एक पदाधिकारी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि डा. खादीवाला वामपंथी विचारधारा के हैं। उनके विचार हमारे विचारों से मेल नहीं खाते। उनकी कविता न लें। पुस्तक के प्रकाशक ने भी खादीवाला के नाम पर एतराज जताया, लेकिन अंतत: पुस्तक प्रकाशित हुई। डा. खादीवाला का कहना है कि डा. जेसवानी ने इन गतिविधियों की जानकारी देते हुए बताया कि उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है, जो ठीक नहीं है।
नागपुर विवि की बोर्ड ऑफ स्टडीज की वाणिज्य भाषा मंडल की हिंदी सदस्य डा. सोनू जेसवानी ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि डा. खादीवाला की कविता पाठ्यपुस्तक में शामिल करने के कारण उन्हें विवि की शीतकालीन (2021) और इस वर्ष ग्रीष्मकालीन परीक्षा के कामकाज से वंचित कर दिया गया है। उन्हें पेपर सेट करने, प्रश्नपत्र बनाने, संपादन करने और परीक्षा संबंधी कार्य से वंचित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि डा. खादीवाला की कविता लेने पर नागपुर विश्वविद्यालय शिक्षण मंच की अध्यक्ष डा. कल्पना पांडे ने कहा कि कविता पहले मुझे भेजो। खादीवाला अलग विचारधारा के हैं। जब मैंने उन्हें बताया कि पत्राचार के माध्यम से अनुमति ली गई है, तो उन्होंने कहा कि ठीक है। इस दौरान प्रकाशक ने धमकाते हुए कहा कि ऐसे में विवि में आपका कैरियर खत्म हो जाएगा। बाद में बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक में बोर्ड के अध्यक्ष डा. सोमनाथे ने भी मंजूरी दे दी।
परीक्षा के कार्यों से किया वंचित
डा. खादीवाला की कविता बी.काम. द्वितीय वर्ष के पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने के कारण पिछले वर्ष शीतकालीन परीक्षा और इस वर्ष ग्रीष्मकालीन परीक्षा से वंचित रखा गया है। यहां तक कि रिसर्च एडवायजरी कमेटी से भी नाम काट दिया गया और मेरी जगह अनुभवहीन डा. आभा सिंह को सदस्य बनाया गया।
-डा. सोनू जेसवानी, नागपुर विवि बोर्ड ऑफ स्टडीज की वाणिज्य भाषा मंडल सदस्य
देशभक्तों का रहा है मेरा खानदान
मैंने केवल देशभक्ति और देश के लिए समर्पण की बात की है। मेरा खानदान देशभक्तों का रहा है। मेरे पिता हाजी नूर मोहम्मद खादीवाला स्वतंत्रता सेनानी थे। वे 19 साल की उम्र में स्वतंत्रता सेनानी जनरल मंचरशा आवारी के नेतृत्व में शस्त्र सत्याग्रह में शामिल हुए। सन 1923 में उन्हें जेल की भी सजा हुई। 6 साल तक गांधीजी के साथ सेवाग्राम आश्रम में भी रहे। स्वतंत्रता सेनानी डा. जाकिर हुसैन मेरेे पिता को खादी बुनने का प्रशिक्षण देने के लिए जामिया मिलिया विश्वविद्यालय ले गए। जमनालाल बजाज ने दक्षिण भारत में उन्हें खादी के प्रचार का जिम्मा सौंपा था। पिछले 53 वर्षों से मैं साहित्य सृजन कर रहा हूं और साहित्य में हमेशा सांप्रदायिक सद्भाव, देशभक्ति को महत्व दिया। किसी राजनीतिक दल से मेरा कोई संबंध नहीं है, लेकिन देशभक्ति की अच्छी और प्रशंसित कविता के विरोध को लेकर चकित हूं।
-डा. सागर खादीवाला, कवि
न कविता पाठ्यक्रम से हटाई, न ही समिति से किसी को हटाया
इस मामले में नागपुर विश्वविद्यालय शिक्षण मंच की अध्यक्ष कल्पना पांडे ने दावा किया है कि विचाराधारा का मेल न होने के कारण किसी भी कवि की कविता हटाने की बात गलत है। ऐसा कुछ नहीं किया गया है। कविता पाठ्यक्रम में अभी भी शामिल है। इस पाठ्यक्रम के आधार पर दो परीक्षाएं भी हो चुकी हैं। कविता काे पाठ्यक्रम में शामिल करने वाली बोर्ड ऑफ समिति सदस्य को भी नहीं हटाया गया है।
Created On :   6 April 2022 1:43 PM IST