प्लास्टिक पर पाबंदी से ग्रामीण महिलाओं की लॉटरी, कपड़े के बैग बनाने जुटीं

Rural womens lottery by plastic ban in chandrapur maharashtra
प्लास्टिक पर पाबंदी से ग्रामीण महिलाओं की लॉटरी, कपड़े के बैग बनाने जुटीं
प्लास्टिक पर पाबंदी से ग्रामीण महिलाओं की लॉटरी, कपड़े के बैग बनाने जुटीं

डिजिटल डेस्क,चंद्रपुर । प्रशासन ने इधर प्लास्टिक पर पाबंदी लगाई उधर आदिवासी क्षेत्र की महिलाओं की लॉटरी निकल आई। कपड़े की बैग की डिमांड बढ़ने से इसे बनाने के आर्डर बड़े पैमाने पर मिल रहे हैं। मूल तहसील अंतर्गत आदिवाासी बहुल व अतिदुर्गम क्षेत्र में बसे ग्राम काटवन की आबादी महज 800 है, परंतु आज यह छोटा सा गांव जिले में सुर्खियों में आ चुका है। यह जादू सरकार द्वारा हाल ही में घोषित प्लास्टिक पर पाबंदी के कारण आया है। हालांकि प्लास्टिक पर पाबंदी से व्यापारियों को नुकसान हुआ जरूर हुआ है लेकिन आदिवासी बहुल क्षेत्र में बसे ग्राम काटवन की महिलाओं की तो जैसे लॉटरी ही खुल गई है।

प्रशिक्षण का महिलाओं ने लिया लाभ
प्लास्टिक पर पाबंदी के बाद कागजी और कपड़े की थैलियों का जमाना फिर लौट आया और इसी ने महिलाओं का जीवन बदल दिया। इससे उत्साहित तथा अभिभूत महिलाएं  स्वयं ही इस बदलाव को महसूस कर फूली नहीं समा रही हैं। क्षेत्र के काटवन, करवन, करवनटोला, चिंचोली गांवों का मुख्यमंत्री ग्राम सामाजिक परिवर्तन अभियान अंतर्गत चयन किया गया है। विभिन्न विकास कार्यों को भी गति मिली है। हाल ही में गांव की 30 महिलाओं को कागजी व कपड़े की थैली बनाने का प्रशिक्षण दिया गया जिससे महिलाओं का रोजगार मिला है।

कपड़े की बैग की बढ़ी मांग
काटवन में कार्यरत मुख्यमंत्री ग्राम परिवर्तक वर्षा कोडापे ने महिला सक्षमीकरण के लिए विविध उपक्रम आरंभ किए हैं। हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में प्लास्टिक पर पाबंदी घोषित की। इससे कागजी व कपड़ों की बैग की बरबस ही मांग बढ़ गई। आम तौर पर हर कार्य के लिए  प्लास्टिक की वस्तुओं का बडे़ पैमाने पर प्रयोग होता था। वह बंद होने से लोगों को तत्काल दूसरे विकल्प की जरुरत पड़ी। इसलिए कागजी व कपड़ों की बैग का महत्व रातों-रात बढ गया। इन थैलियों के निर्माण के लिए करवन, काटवन, चिंचोली व करवन टोला की महिला बचत समूह की महिलांओं को गांव में ही 10 दिन का प्रशिक्षण चंद्रपुर की संयुक्त महिला मंच की ओर से दिया गया। इन आदिवासी महिलाओं के पास रोजगार का कोई दूसरा साधन नहीं है। जंगल व वन्यजीवों के भय से खेती-किसानी भी आसान नहीं रही। सिंचाई के अभाव के कारण उत्पादन भी संतोषजनक नहीं हो रहा। ऐसे में यहां की महिलाओं को अब इसके माध्यम से लघु उद्योग मिल गया है। विभिन्न किराना दुकान, बाजार आदि में अब काटवन व पड़ोस के एक-दो गांव की महिलाएं कागजी व कपड़े की थैलियों की बिक्री के लिए आने लगी हैं।  इससे इन महिलाओं की भी अच्छी खासी आय हो रही है। रोजगार के संसाधनों से वंचित इस क्षेत्र के लिए यह रोजगार किसी संजीवनी से कम नहीं।

कातवन में इस तरह विकास की आई बयार
मुख्यमंत्री ग्राम सामाजिक परिवर्तन अभियान ने ग्रामीण क्षेत्र की तस्वीर ही बदलकर रख दी है। गांव में व्यायामशाला, वाचनालय आदि का निर्माण किया गया है। सामाजिक एकता के लिए गांव के अधिकांश मकान एक ही पीले रंग से रंग गए हैं। आंगनवाड़ी का कामकाज सौर ऊर्जा से चल रहा है। गांव के बच्चों के लिए रविवार की शाला, नवीनतापूर्ण संकल्पना और महिलाओं के लिए रात्रिकालीन  प्रौढ शिक्षा से सभी उत्साहित हैं। महिलाओं को भी रोजगार मिला है जिस कारण महिलाएं भी बेहद खुश हैं। गांव में विविध विकास कार्यों को भी गति मिली है। कुल मिलाकर विकास की बाट जोह रही काटवन ग्राम पंचायत को सही मायने में विकास की राह मिल चुकी है। 

Created On :   19 April 2018 3:49 PM IST

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