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कोर्ट में कहाः एटीएस ने आरएएस का नाम लेने किया था मजबूर

डिजिटल डेस्क, मुंबई । साल 2008 के मालेगांव बम धमाके मामले का एक और गवाह मुंबई की विशेष अदालत में अपने बयान से मुकर गया है। गवाह ने कोर्ट में दावा किया है कि आंतकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने उसे प्रताड़ित किया था और जांच के दौरान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) का नाम लेने के लिए मजबूर किया था। गवाह ने न्यायाधीश पीआर बोरकर के सामने कहा कि उसने स्वेच्छा से एटीएस के सामने बयान नहीं दिया था। इसके बाद न्यायाधीश ने गवाह को होस्टाइल (बयान से मुकरनेवाला) घोषित कर दिया। अब तक इस मामले को लेकर राषष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत में 222 गवाहों की गवाही हो चुकी है जिसमें से 17 गवाह अपने बयान से पलट चुके हैं। गुरुवार को गवाह ने न्यायाधीश के सामने कहा कि एटीएस ने शुरुआत में जब इस मामले की जांच शुरु की थी तो उसने मुझे कई बार अपनी हिरासत में लिया था और हिरासत के दौरान मुझे प्रताड़ित किया था।
एटीएस के अधिकारियों ने उसे आरएसएस व उसके नेताओं का नाम लेने के लिए मजबूर किया था। गवाह ने कहा कि वह न तो आरएसएस का सदस्य है और न ही आरएसएस के किसी पदाधिकारी को जानता है। गौरतलब है कि इससे पहले अभियोजन पक्ष के एक और गवाह ने कोर्ट के सामने एटीएस पर प्रताड़ित करने व उसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी व आरएसएस का नाम लेने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया था। 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में हुए बम धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी। जबकि सौ लोग घायल हो गए थे। इस मामले में भारतीय जनता पार्टी की सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कर्नल प्रसाद पुरोहित, सुधारकर द्विवेदी, सेवानिवृत्त मेजर रमेश उपाध्याय, अजय रहिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी व समीर कुलकर्णी को आरोपी बनाया गया है। वर्तमान में ये सभी आरोपी जमानत पर जेल से बाहर है।
Created On :   3 Feb 2022 7:46 PM IST